#NewsBytesExplainer: डोनाल्ड ट्रंप ने कैसे राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे पलटने की साजिश की थी?
क्या है खबर?
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के नेता डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में मिली हार के परिणाम को पलटने से जुड़े मामले में आपराधिक आरोप तय किए गए हैं।
इसमें कहा गया है कि ट्रंप और उनके समर्थकों ने जीतने की कोशिश करते हुए फर्जी इलेक्टर्स (अमेरिकी इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य) की योजना का सहारा लिया था।
आइए जानते हैं कि ट्रंप की फर्जी इलेक्टर्स का इस्तेमाल करने की यह पूरी योजना क्या थी।
मामला
क्या है फर्जी इलेक्टर्स का मामला?
AP के मुताबिक, चार्जशीट में कहा गया है कि अधिकारियों को राजी नहीं कर पाने के बाद ट्रंप और उनके सहयोगियों ने एरिजोना, जॉर्जिया, मिशिगन, न्यू मैक्सिको, नेवादा, पेन्सिलवेनिया और विस्कॉन्सिन में फर्जी इलेक्टर्स की भर्ती शुरू कर दी थी।
इन सभी फर्जी इलेक्टर्स को झूठे प्रमाणपत्रों पर हस्ताक्षर करके यह दावा करने के लिए कहा गया था कि डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन की जगह ट्रंप ने उनके राज्यों में जीत हासिल की है।
योजना
कैसे हुई थी योजना की शुरुआत?
आरोप है कि फर्जी इलेक्टर्स की पूरी योजना विस्कॉन्सिन के वकील केनेथ चेसेब्रो के एक मेमो के साथ शुरू हुई थी, जो ट्रंप के चुनावी अभियान में उनकी सहायता कर रहे थे।
चेस्ब्रो ने नवंबर, 2020 में अपने संदेश के जरिए विस्कॉन्सिन में ट्रंप के समर्थकों से उनके पक्ष में वोट करने को कहा था।
करीब एक महीने बाद अन्य प्रमुख राज्यों में भी रणनीति का विस्तार करते हुए फर्जी इलेक्टर्स की पूरी एक सूची तैयार की गई।
योजना
फर्जी इलेक्टर्स तैयार करने के बाद क्या हुआ?
फर्जी इलेक्टर्स तैयार करने के बाद ट्रंप और उनके वकील जॉन ईस्टमैन ने रिपब्लिकन पार्टी की राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष रोन्ना मैकडेनियल से तय राज्यों में फर्जी इलेक्टर्स की भर्ती में मदद करने को कहा।
चार्जशीट के मुताबिक, ट्रंप के 2 प्रतिनिधियों ने मैकडेनियल को झूठा आश्वासन देते हुए कहा था कि इन इलेक्टर्स का इस्तेमाल तभी किया जाएगा, जब राष्ट्रपति चुनाव खिलाफ दायर किए गए ट्रंप के मुकदमे सफल होंगे।
योजना
ट्रंप के कई सलाहकार थे योजना के खिलाफ
अभियोजकों ने कहा कि राज्य प्रमाणन प्रक्रिया की पूर्व संध्या पर ट्रंप के वरिष्ठ सलाहकार समेत समेत अन्य करीबी लोगों ने एक ग्रुप चैट में फर्जी इलेक्टर्स की योजना के बारे में चिंता जताई थी।
ट्रंप के अभियान के उपप्रबंधक ने कहा था कि ये योजना एक पागलपंती में बदल चुकी है।
इलेक्टर्स के इकट्ठा होने से एक दिन पहले न्यू मेक्सिको को भी योजना में शामिल कर लिया गया, जिसके बाद कुल राज्यों की संख्या 7 हो गई।
मामला
अंत में काम नहीं आई ट्रंप की योजना
14 दिसंबर, 2020 को सभी इलेक्टर्स नजदीकी लड़ाई वाले राज्यों में बाइडन और ट्रंप के लिए वोट डालने के लिए एकत्रित हुए थे।
ट्रंप समर्थक और फर्जी इलेक्टर्स ने 7 राज्यों में उन्हें विजेता घोषित करने वाले फर्जी प्रमाणपत्रों पर हस्ताक्षर किए और उन्हें जमा कर दिया।
इन सभी फर्जी प्रमाणपत्रों को अमेरिकी कांग्रेस और राष्ट्रीय अभिलेखागार के पास भेज दिया गया था। हालांकि, केवल वैध चुनाव प्रमाणपत्रों की गिनती की गई और ट्रंप की हार हो गई।
जानकारी
ट्रंप ने तत्कालीन उपराष्ट्रपति पर भी डाला था नतीजों को पलटने का दबाव
अभियोजकों के अनुसार, ट्रंप ने तत्कालीन उपराष्ट्रपति माइक पेंस पर भी बार-बार फर्जी इलेक्टर्स के फर्जी सर्टिफिकेट्स के आधार पर बाइडन की जगह उन्हें विजेता घोषित करने का दबाव डाला था, हालांकि पेंस ने ऐसा करने से मना कर दिया।
आरोप
आरोपों पर ट्रंप का क्या कहना है?
ट्रंप ने उन पर लगे चुनावी नतीजे पलटने के आपराधिक आरोपों को फर्जी बताया है। उन्होंने कहा कि अगले साल होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के अभियान में हस्तक्षेप करने के लिए उनके खिलाफ फर्जी मुकदमे किए जा रहे हैं।
ट्रंप 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से सबसे मजबूत दावेदारों में से एक हैं और वह राष्ट्रपति बाइडन के साथ दोबारा मुकाबला करना चाहते हैं।