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बगराम एयरबेस को लेकर ट्रंप ने तालिबान को धमकाया, कहा- नहीं लौटाया तो अंजाम बुरा होगा
डोनाल्ड ट्रंप ने बगराम एयरबेस को लेकर तालिबान को धमकी दी है

बगराम एयरबेस को लेकर ट्रंप ने तालिबान को धमकाया, कहा- नहीं लौटाया तो अंजाम बुरा होगा

लेखन आबिद खान
Sep 21, 2025
11:29 am

क्या है खबर?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बगराम एयरबेस को लेकर तालिबान को धमकी दी है। ट्रंप ने कहा है कि अगर तालिबान अमेरिका को बगराम एयरबेस नहीं लौटाता है, तो अंजाम बुरे होंगे। बता दें कि अफगानिस्तान में स्थित बगराम एयरबेस करीब 2 दशक तक अमेरिका के पास था, लेकिन 2021 में तालिबानी शासन आने के बाद अमेरिका ने इसे खाली कर दिया था। अब ट्रंप ने इसे दोबारा लेने की बात कही है।

बयान

ट्रंप बोले- हम चाहते हैं बेस जल्द वापस मिले

ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, 'अगर अफगानिस्तान बगराम एयरबेस को अमेरिका को वापस नहीं करता है, तो बहुत बुरा होगा।' जब उनसे पूछा गया कि क्या वह बेस पर कब्जा करने के लिए अमेरिकी सैनिक भेजेंगे? इसके जवाब में उन्होंने कहा, "हम इस बारे में बात नहीं करेंगे। हम चाहते हैं कि बेस जल्द वापस मिले। अगर वे नहीं देंगे, तो आप देखेंगे कि मैं क्या करता हूं।"

तालिबान

ट्रंप की मांग पर तालिबान का क्या कहना है?

तालिबान ने ट्रंप की मांग को खारिज कर दिया है। तालिबान के विदेश मंत्रालय के अधिकारी जाकिर जलाल ने कहा, "अमेरिकी सेना की मौजूदगी को अफगानिस्तान सरकार पूरी तरह से खारिज करती है। अफगानिस्तान ने इतिहास में कभी भी सैन्य उपस्थिति को स्वीकार नहीं किया है। दोहा बातचीत और समझौते के दौरान इस संभावना को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया था, लेकिन व्यापार और दूसरी गतिविधियों के लिए दरवाजे खोल दिए गए हैं।"

चीन

चीन ने भी ट्रंप का किया विरोध

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, "क्षेत्र में तनाव और टकराव को बढ़ावा देने का समर्थन नहीं किया जाएगा। चीन अफगानिस्तान की स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है। अफगानिस्तान का भविष्य अफगान लोगों के हाथों में होना चाहिए।" बता दें कि चीन पहला देश था, जिसने तालिबान सरकार के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। हाल ही में चीन ने अफगानिस्तान में तांबे की खदान और तेल भंडारों में भारी निवेश किया है।

एयरबेस

बगराम एयरबेस के बारे में जानिए 

बगराम अफगानिस्तान का सबसे बड़ा एयरबेस है। यह राजधानी काबुल से 60 किलोमीटर उत्तर में सामरिक महत्व वाले परवान प्रांत में है। इसे 1950 के दशक में सोवियत संघ ने बनाया था। कई सालों तक सोवियत के कब्जे के बाद 2001 में ये अमेरिका के कब्जे में आ गया। करीब 2 दशक तक ये अमेरिका का मुख्य अड्डा रहा। यह एयरबेस उस जगह से सिर्फ एक घंटे की दूरी पर है, जहां चीन अपने परमाणु हथियार बनाता है।