
चीन शुरू करेगा शिनजियांग-तिब्बत रेलवे लाइन का काम, यह भारत के लिए चिंता की बात क्यों?
क्या है खबर?
चीन जल्द ही शिनजियांग को तिब्बत से जोड़ने के लिए नई रेलवे लाइन का कार्य शुरू करने वाला है। यह लाइन भारत के साथ लगने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास से गुजरेगी। यह महत्वाकांक्षी परियोजना कई वर्षों से निर्माणाधीन है। यह चीन की सबसे बड़ी रेलवे परियोजनाओं में से एक है। प्रस्तावित रेलवे लाइन का एक हिस्सा विवादित अक्साई चिन क्षेत्र से होकर गुजरने की उम्मीद है, जिससे भारत के साथ फिर से तनाव बढ़ सकता है।
परियोजना
क्या है चीन की शिनजियांग-तिब्बत रेलवे लाइन परियोजना?
चीन की शिनजियांग-तिब्बत रेलवे लाइन के अक्साई चिन से होकर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के निकट G219 राष्ट्रीय राजमार्ग के करीब से गुजरने की उम्मीद है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट (SCMP) की रिपोर्ट के अनुसार, यह रेलवे लाइन शिनजियांग के होटन को तिब्बत के शिगात्से से जोड़ेगी और मौजूदा ल्हासा-शिगात्से लाइन में समाहित होगी। इसमें लगभग 2,000 किलोमीटर लंबी रणनीतिक रेल लाइन बनेगी जो उत्तर-पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिमी चीन को जोड़ेगी।
शुरुआत
पहले चरण में होगा शिगात्से-पखुक्त्सो रेल लाइन का निर्माण
रिपोर्टों के अनुसार, इस लाइन का पहला खंड शिगात्से से पखुक्त्सो तक होगा। इस लाइन के रुतोग और LAC के चीनी हिस्से में पैंगोंग झील के पास से गुजरने की संभावना है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना का लक्ष्य 2035 तक ल्हासा पर केन्द्रित 5,000 किलोमीटर का पठारी रेल ढांचा स्थापित करना है। इस लाइन की औसत ऊंचाई 4,500 मीटर से अधिक होगी, जो कुनलुन, काराकोरम, कैलाश और हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं से गुजरेगी।
जानकारी
बेहद चुनौतीपूर्ण होगी यह परियोजना
चीन को इस रेलवे लाइन के निर्माण में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। यह ग्लेशियरों, जमी हुई नदियों और पर्माफ्रॉस्ट से होकर गुजरेगी। यह महत्वाकांक्षी परियोजना तिब्बत को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने की बीजिंग की योजना का हिस्सा है।
योजना
साल 2008 में हुई थी शिनजियांग-तिब्बत रेलवे लाइन की योजना
शिनजियांग-तिब्बत लाइन की योजना साल 2008 में शुरू हुई थी। उस समय इसे संशोधित मध्यम और दीर्घकालिक रेलवे नेटवर्क योजना का हिस्सा बनाया गया था। इस योजना को चीन के शीर्ष आर्थिक योजनाकार, राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग द्वारा अनुमोदित किया गया था। चीन के पास तिब्बत को जोड़ने वाली 3 रेलवे लाइनें और हैं। इनमें किंघई-तिब्बत, ल्हासा-शिगात्से और ल्हासा-न्यिंगची लाइन शामिल है। ल्हासा-न्यिंगची लाइन तिब्बत के दक्षिण-पूर्व में जाती है और अरुणाचल प्रदेश की सीमा के करीब है।
जानकारी
साल 2022 में शुरू की गई थी सर्वेक्षण और डिजाइन निविदाएं
होटन-शिगात्से खंड के लिए साल 2022 में सर्वेक्षण और डिजाइन निविदाएं शुरू की गई थी। चीनी परिवहन मंत्रालय ने अप्रैल 2025 में कहा था कि शिनजियांग-तिब्बत रेलवे लाइन उन 45 परियोजनाओं में शामिल है, जिनका निर्माण इस साल शुरू होगा।
कंपनी
निर्माण की देखरेख के लिए कंपनी की स्थापना
SCMP की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने रेलवे लाइन के निर्माण और संचालन की निगरानी के लिए एक सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी को नियुक्त किया है, जो शिनजियांग में होटन और तिब्बत में ल्हासा को जोड़ेगी। शिनजियांग-तिब्बत रेलवे कंपनी को 13.2 अरब डॉलर (लगभग 1.14 लाख करोड़ रुपये) के साथ पंजीकृत किया गया है और यह पूर्ण रूप से चाइना स्टेट रेलवे ग्रुप के स्वामित्व में है। यह कंपनी पर्यटन सुविधाओं का भी विकास करेगी।
चिंता
शिनजियांग-तिब्बत लाइन भारत के लिए क्यों है चिंता का विषय?
शिनजियांग-तिब्बत लाइन के अक्साई चिन से होकर गुजरने की संभावना भारत के लिए चिंताजनक है। दोनों देश इस क्षेत्र पर अपना दावा करते हैं, जबकि चीन इसे शिनजियांग का हिस्सा बताता है। हालांकि, यह दावा झूठा है। चीन ने 1950 के दशक में अक्साई चिन पर कब्जा किया था और 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान इस क्षेत्र पर अपनी सैन्य पकड़ मजबूत कर ली थी। उस समय G219 के निर्माण के कारण दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ था।
विवाद
अक्साई चिन भारत और चीन के बीच रहा है विवाद का कारण
अक्साई चिन भारत और चीन के बीच हमेशा से विवाद का कारण रहा है। पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल जेजे सिंह (सेवानिवृत्त) ने 2023 में द वीक के लिए लिखा था, 'चीन अपनी रणनीतिक धमनी के लिए उत्पन्न किसी भी खतरे के प्रति बहुत संवेदनशील है।' अक्साई चिन एक रणनीतिक मार्ग है जो चीन को अपने सैनिकों को LAC के करीब ले जाने में मदद करेगा, जो भारत के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन सकता है।