चीन ने कोरोना वायरस से हुई मौतों के आंकड़े को हटाया, वास्तविक मौतें छिपाने का आरोप
चीन पर कोविड महामारी के आंकड़ों में कथित तौर पर बदलाव करने को लेकर नए आरोप लगाए गए हैं। फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के सबसे अधिक आबादी वाले प्रांतों में से एक झेजियांग प्रांत ने कोरोना वायरस के कारण होने वाली मौतों के डाटा को हटा दिया है। यह कदम चीन सरकार द्वारा पिछले साल कोविड नियमों में ढील के कारण मृत्यु दर में हुई अप्रत्याशित वृद्धि की तरफ संकेत करता है।
डिलीट किए गए आंकड़ों में क्या था?
बतौर रिपोर्ट्स, झेजियांग प्रांत की सरकार द्वारा हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों में वर्ष की पहली तिमाही में किए गए अंतिम संस्कारों की संख्या करीब 1,71,000 थी, जो पिछले साल की तुलना में करीब 73 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2021 और 2022 में इसी अवधि में क्रमशः 91,000 और 99,000 मौतें दर्ज की गई थीं। चीन की सोशल मीडिया पर आलोचना के बाद झेजियांग प्रांत की सरकार ने इन आंकड़ों को तुरंत हटा लिया।
चीन ने सार्वजनिक नहीं किए हैं मौतों के आंकड़े
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने जून में दावा किया था कि चीन ने अपनी त्रैमासिक रिपोर्ट में पिछले साल सर्दी के मौसम के दौरान हुए अंतिम संस्कारों की संख्या जारी नहीं की है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार ने कहा था कि कोरोना वायरस के कारण हुई मौतों के आंकड़े को सार्वजनिक किया जाएगा, लेकिन उन्हें कभी जारी नहीं किया गया। चीनी सरकार पर आंकड़ों को छिपाने के लगातार आरोप लगते आए हैं।
चीन में जीरो कोविड नीति खत्म होने बाद बढ़ी थीं मौतें
चीन ने पिछले साल महामारी की शुरुआत होने के बाद से लागू जीरो कोविड नीति को खत्म कर दिया था, जिसके बाद कोरोना वायरस के मामलों में काफी बढ़ोतरी देखी गई थी। चीन में दिसंबर के पहले 2 हफ्तों में रिकॉर्ड मामले और मौतें दर्ज की गई थीं, लेकिन आधिकारिक आंकड़ों में इसका कोई जिक्र नहीं किया गया था। सोशल मीडिया पर सामने आई कई वीडियो में अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज और शव दिखाई दिए थे।
क्या थी जीरो कोविड नीति?
चीन की जीरो कोविड नीति के चलते देश में सख्त पाबंदियां लागू थीं। इसके तहत बिना लक्षण वाला नया केस मिलने पर भी संक्रमित व्यक्ति को अनिवार्य तौर पर भर्ती कर दिया जाता था। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले लोगों को भी लंबे समय तक आइसोलेट किया जा रहा था। जीरो कोविड नीति के तहत किसी इलाके में कुछ संक्रमित मिलने पर भी कड़ा लॉकडाउन लगा दिया जाता था, जिससे अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा था।