एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन फिर विवादों में, खून के थक्के जमने वाली बीमारी से निकला संबंध
ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा बनाई गई कोरोना वैक्सीन एक बार फिर विवादों में है। अब कुछ शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि वैक्सीन की वजह से वैक्सीन इंड्यूस्ड थ्रोम्बोसाइटोपेनिया और थ्रोम्बोसिस (VITT) का खतरा बढ़ सकता है। VITT खून का थक्का जमा देने वाली एक दुर्लभ और घातक बीमारी है। इससे पहले कुछ मामलों में वैक्सीन की वजह से थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) होने की बात सामने आई थी।
शोध में क्या दावा किया गया है?
ऑस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय और अन्य अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने ये शोध किया है। इसमें सामने आया है कि प्लेटलेट फैक्टर 4 (PF4) नामक प्रोटीन के विरुद्ध निर्देशित एक खतरनाक ऑटोएंटीबॉडी की वजह से VVIT होता है। 2003 में कुछ शोधकर्ताओं ने बताया था कि प्राकृतिक एडिनोवायरस (सामान्य सर्दी) के कुछ मामलों में PF4 की वजह से भी इसी तरह के मामले सामने आए थे। चूंकि, एस्ट्राजेनेका वैक्सीन भी एडिनोवायरल प्लेटफॉर्म पर बनी है, इसलिए VITT का खतरा है।
शोधकर्ताओं ने क्या कहा?
फ्लिंडर्स के प्रोफेसर टॉम गॉर्डन ने कहा, "वास्तव में, इन बीमारियों में घातक एंटीबॉडी के बनने का तरीका लगभग एक समान होने चाहिए और एक ही तरह के आनुवंशिक जोखिम कारक होने चाहिए।" शोधकर्ता ने कहा कि शोध के निष्कर्षों से पता चलता है कि VITT से सीखे गए सबक एडेनोवायरस संक्रमण के बाद रक्त के थक्के जमने के दुर्लभ मामलों पर लागू होते हैं और ये निष्कर्ष टीके के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
साइड इफेक्ट्स को लेकर पहले से ही विवादों में है वैक्सीन
फरवरी में एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन की हाई कोर्ट में माना था कि उसकी कोरोना वैक्सीन से TTS जैसे गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। TTS से शरीर में खून के थक्के जमने लगते हैं या फिर प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगती है, जिसके चलते ब्रेन स्ट्रोक की भी आशंका बढ़ जाती है। इस विवाद के बाद एस्ट्राजेनेका ने अपनी वैक्सीन को दुनियाभर के बाजारों से वापस बुलाने का फैसला लिया था।
मुकदमों का सामना कर रही कंपनी
ब्रिटेन में एस्ट्राजेनेका 50 से ज्यादा मुकदमों का सामना कर रही है। वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के चलते जिन लोगों की मौत हुई हैं, उनके परिजनों ने ये मुकदमे दायर किए हैं, जिनमें क्षतिपूर्ति और मुआवजे की मांग की गई है। भारत में भी इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। बता दें कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को ही भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविशील्ड नाम से बनाया है।