ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में सड़क से लेकर क्लब तक नंगे पैर घूमते हैं लोग, जानें कारण
क्या है खबर?
ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ न्यूजीलैंड के लोगों के बीच रोजमर्रा की गतिविधियों के लिए नंगे पैर चलना एक आदत बन चुकी है।
इन जगहों के कई निवासियों के लिए छोटे-मोटे कामों से लेकर खेल के मैदानों और यहां तक कि क्लबों में भी जूते एक विकल्प मात्र बन चुके हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स के लेखक सेठ कुगल ने साल 2012 की अपनी न्यूजीलैंड की यात्रा के दौरान इस बात को नोटिस किया था।
आइए जानते हैं कि इसके पीछे कारण क्या है।
जानकारी
स्कूल के बच्चे भी रह रहे नंगे पैर- सेठ कुगल
सेठ कुगल ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि न्यूजीलैंड में लोग हर जगह नंगे पैर घूमते हैं, वहीं ऑस्ट्रेलिया में नंगे पैर चलने का चलन स्कूलों तक फैला हुआ है।
देश के शहर पर्थ में स्थित एक प्राथमिक विद्यालय के विद्यार्थियों ने बताया कि इसके पीछे कारण है कि इससे शारीरिक मुद्रा को ठीक रखने और मजबूत पैर जैसे कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं।
हालांकि, लोगों के इस चलन को लेकर अलग-अलग कारण हैं।
कारण
लोगों के नंगे पैर चलने का कारण नहीं है स्पष्ट
कुछ लोगों का कहना है कि वे दोनों देशों में स्वदेशी संस्कृतियों के प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए नंगे पैर चलते हैं, जबकि कई लोग इसे स्वास्थ्यवर्धक मानते हैं।
सांस्कृतिक शोध प्रोफेसर डेविड रोवे ने साल 2021 में BBC को इस चलन के पीछे एक अनोखा ही कारण बताया था।
उनका कहना था कि अधिक ठंडी जगह से आने वाले प्रवासियों के गर्म वातावरण में अपने नए जीवन का जश्न मनने का एक तरीका हो सकता है।
बयान
नंगे पैर चलने से खुद को आजाद महसूस करती हूं- जोर्डाना ग्रे
ऑस्ट्रेलिया में रहने वाली एक ब्रिटिश प्रवासी जोर्डाना ग्रे ने मीडिया को बताया कि नंगे पैर चलने से उन्होंने खुद में काफी परिवर्तन महसूस किया है। पहले उनका मानना था कि बिना जूतों के गाड़ी चलाना गैरकानूनी है, लेकिन फिर उन्होंने इसे अपनाया।
जोर्डन ने टिक-टॉक पर एक वीडियो भी साझा किया था, जिसमें लोग समुद्र तट के प्रवेश द्वार पर अपने जूते उतारकर समुद्र के किनारे पर नंगे पैर तरह-तरह की गतिविधियां करते दिख रहे थे।
अन्य मामला
15 सालों से न्यूजीलैंड में हर जगह नंगे पैर घूमता है यह व्यक्ति
पिछले साल अक्टूबर में यह मामला सामने आया था कि न्यूजीलैंड में रहने वाला 37 वर्षीय रॉबिन ग्रीनफील्ड नामक व्यक्ति लगभग 15 सालों से नंगे पैर घूम रहा है, फिर चाहें उसे किराने की दुकान तक जाना हो या पहाड़ों की ट्रेकिंग करनी हो।
व्यक्ति का कहना है कि साल 2008 में एक यूनिवर्सिटी की यात्रा के दौरान एक बिना जूते वाले व्यक्ति से मिलने के बाद उसे जूतों को अलविदा कहने की प्रेरणा मिली।