स्विट्जरलैंड: शोधकर्ताओं ने बनाया अनोखा उपकरण, कीबोर्ड और माउस से ऑफिस संबंधी तनाव का पता लगाएगा
ऑफिस के कारण तनाव होना एक आम समस्या है, लेकिन कर्मचारी कब तनाव में हैं और कब नहीं, ये पता लगाना मुश्किल है। इसी को देखते हुए स्विट्जरलैंड के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है, जो कंप्यूटर माउस के क्लिक पैटर्न और टाइपिंग गति का विश्लेषण करके कर्मचारियों के तनावग्रवस्त होने का पता लगाने में मदद कर सकता है। यकीनन आपको यह जानकर हैरानी हो रही होगी। आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
ETHZ के शोधकर्ताओं ने किया अनोखा शोध
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ज्यूरिख में स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (ETHZ) के शोधकर्ताओं ने ऑफिस में काम के दौरान तनाव के स्तर का पता लगाने के लिए स्ट्रेससेंस नामक एक उपकरण विकसित किया है। यह उपकरण लोगों की टाइपिंग गति और माउस के इस्तेमाल करने के तरीके का विश्लेषण करने के लिए डाटा और मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का इस्तेमाल करता है। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि कर्मचारी कब तनाव महसूस कर रहे हैं।
शोधकर्ताओं ने इस तरह किया अध्ययन
अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने लैब में 90 प्रतिभागियों के नियुक्तियों की योजना, डाटा रिकॉर्ड और डाटा विश्लेषण जैसे कामों पर गौर किया। उन्होंने प्रतिभागियों के माउस और कीबोर्ड चलाने के तरीके के साथ-साथ उनकी हृदय गति को रिकॉर्ड किया। इस दौरान कुछ प्रतिभागियों ने बिना किसी बाधा के काम किया, जबकि कुछ प्रतिभागियों के काम को मैसेज करके या अन्य चीजों से बार-बार बाधित किया गया। उनसे यह भी पूछा गया कि उन्हें कितना तनाव महसूस हुआ।
शोधकर्ताओं को अध्ययन से मिला यह परिणाम
इस अध्ययन से शोधकर्ताओं ने पाया कि ऑफिस में तनावग्रस्त लोग अपने माउस और कीबोर्ड को तनावमुक्त लोगों से अलग तरीके से चलाते हैं। इसके अलावा शोधकर्ताओं ने यह भी पता लगाया कि जो लोग ऑफिस में तनाव महसूस करते हैं, वे टाइपिंग करते समय अधिक गलतियां करते हैं, वहीं तनावमुक्त महसूस करने वाले लोग ऐसा नहीं करते हैं। आपको बता दें कि न्यूरोमोटर नॉइस थ्योरी से तनाव, कीबोर्ड और माउस के बीच के संबंध को समझाया जा सकता है।
क्यों पड़ी इस तरह के शोध की जरूरत?
शोधकर्ताओं के मुताबिक, काम के दौरान बढ़े हुए तनाव का पता लगाने के लिए एक तरीका खोजना जरूरी था क्योंकि स्विट्जरलैंड में 3 में से 1 कर्मचारी ऑफिस संबंधी तनाव से पीड़ित है। उन्होंने कहा कि इससे प्रभावित लोगों को अक्सर यह एहसास नहीं होता है कि उनके शारीरिक और मानसिक संसाधन कम हो रहे हैं और इसी कारण वह कर्मचारियों को तनाव की पहचान करने में मदद करना चाहते हैं।