ऑस्ट्रेलिया: वैज्ञानिकों ने लैब में तैयार किया 'मिनी ब्रेन', खेलता है वीडियो गेम
वैज्ञानिक हमेशा कुछ ऐसा कर दिखाते हैं जिसके बारे में सुनकर हमें हैरानी होती है। इसी कड़ी में ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने कॉर्टिकल लैब में 'मिनी ब्रेन' (ब्रेन सेल्स) तैयार किया है। इस मिनी ब्रेन को इलेक्ट्रोड के माध्यम से वीडियो गेम से जोड़ा गया है और यह 1970 के दशक का लोकप्रिय वीडियो गेम 'पॉन्ग' खेल सकता है। इसकी अन्य गतिविधियां भी बहुत ही बुद्धिमान और संवेदनशील हैं। आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
इसलिए तैयार किया गया था मिनी ब्रेन
2013 में माइक्रोसेफली का अध्ययन करने के लिए इस मिनी ब्रेन को तैयार किया गया था। माइक्रोसेफली एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल स्थिति और जेनेटिक डिसॉर्डर है जिसमें मस्तिष्क बहुत छोटा होता है। इसमें गर्भ में बच्चे के मस्तिष्क का पूर्ण विकास नहीं होता और उसके सिर का आकार सामान्य से छोटा होता है। 2013 के बाद अब पहली बार इस मिनी ब्रेन को बाहरी वातावरण से जोड़कर वीडियो गेम खेलने लायक बनाया गया है।
रियल टाइम में जवाब देने में सक्षम है मिनी ब्रेन
जर्नल न्यूरॉन के मुताबिक, डॉक्टर ब्रेट कैगन ने बताया, "मिनी ब्रेन को लैब के एक डिश में तैयार किया गया है। यह वीडियो गेम खेलने के साथ-साथ बाहरी वातावरण को भी समझकर इसका रियल टाइम में जवाब देता है। यह बाहरी सोर्स से जानकारी इकट्ठा करना भी जानता है।" उन्होंने कहा कि वो मिनी ब्रेन को अन्य कई कामों में इस्तेमाल करने के लिए टेस्ट करने पर विचार कर रहे हैं।
दवाई और शराब की मदद से वैज्ञानिक लेंगे ब्रेन का टेस्ट
वैज्ञानिकों का कहना है कि अल्जाइमर जैसे न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों के इलाज में मिनी ब्रेन के इस्तेमाल के लिए भी टेस्ट किए जाएंगे। इसके लिए वैज्ञानिकों ने मिनी ब्रेन की पॉन्ग खेलने की क्षमता पर दवाइयों और शराब के प्रभाव का टेस्ट करने के बारे में सोचा है। वैज्ञानिकों ने कहा कि इस टेस्ट में वो ये देखेंगे कि मिनी ब्रेन मानव मस्तिष्क के समान तरीके से प्रतिक्रिया करेगा या फिर अलग तरीके से प्रभावित होगा।
चूहे की भ्रूण सेल्स से तैयार हुआ है मिनी ब्रेन
इस मिनी ब्रेन को स्टेम सेल्स और चूहे के भ्रूण की कुल आठ लाख सेल्स से तैयार किया गया है। ब्रेन को पॉन्ग वीडियो गेम खेलने के लिए इलेक्ट्रोड की मदद से गेम से जोड़ा गया। इससे उसे यह पता चलता है कि गेंद किस तरफ है और पैडल से कितनी दूरी पर है। गेम के दौरान ब्रेन सेल्स ने अपनी खुद की बिजली की गतिविधि उत्पन्न की। गेम खेलते वक्त मिनी ब्रेन ने ऊर्जा भी कम खर्च की।