
7 साल का इंतजार हुआ खत्म, सिक्किम के चिड़ियाघर में पैदा हुए लाल पांडा के बच्चे
क्या है खबर?
लाल पांडा सबसे प्यारे जानवरों में से एक है, जो मुख्य रूप से भारत के हिमालय क्षेत्र में पाया जाता है। यह जानवर देश में लुप्तप्राय है, जिस कारण इसके संरक्षण के प्रयास लगातार जारी रहते हैं। अब एक सुखद खबर सामने आ रही है, जो वन्यजीव संरक्षण की एक अहम विजय साबित हुई है। दरअसल, सिक्किम के गंगटोक स्थित बुलबुली के हिमालयन चिड़ियाघर में 7 साल के बाद लाल पांडा के बच्चों का जन्म हुआ है।
बच्चे
15 जून को हुआ था इन बच्चों का जन्म
इन दोनों नन्हें मेहमानो का जन्म 15 जून 2025 को हुआ था। इनका नाम लकी 2 और मिराक रखा गया है। ये बच्चे चिड़ियाघर के 'लाल पांडा संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम' के लिए एक बड़ी उपलब्धि हैं, जिसे 1997 में शुरू किया गया था। हिमालयन जूलॉजिकल पार्क के निदेशक गुट लेप्चा ने कहा, "यह हमारे संरक्षण प्रयासों के लिए आशा और सुधार का क्षण है।" उन्होंने बताया कि दोनों बच्चे बिलकुल स्वस्थ हैं।
प्रजनन कार्यक्रम
लाल पांडा संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम के बारे में जानकारी
लाल पांडा संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम की शुरुआत 2 लाल पांडा से हुई थी। इनमें से एक रॉटरडैम चिड़ियाघर की प्रीति थी और दूसरा दार्जिलिंग के पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क का जुगल था। 2005 में विविधता बढ़ाने के लिए, लकी और राम नाम के एक जंगली जोड़े को कार्यक्रम में शामिल करके उसका विस्तार किया गया था। शुरुआत में थोड़ी सफलता मिली थी, लेकिन इस कार्यक्रम को रोग प्रकोप जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था।
देखभाल
कैसे की जा रही है बच्चों की देखभाल?
चिड़ियाघर के कर्मचारियों ने बताया है कि लाल पांडा के दोनों बच्चों को कड़ी निगरानी में रखा गया है। फिलहाल इनके लिंग के बारे में जानकारी नहीं सामने आई है। बच्चों के माता-पिता उनकी अच्छी तरह देखभाल कर रहे हैं, जो उनके अस्तित्व के लिए अच्छा संकेत है। दोनों बच्चों को अगले कुछ महीनों तक घोंसले के बक्से में ही रखा जाएगा, ताकि उनका स्वास्थ्य न बिगड़े। चिड़ियाघर इनकी प्रगति के बारे में जानकारी साझा करता रहेगा।
गतिविधि
दोनों बच्चे करते दिखे ये गतिविधियां
चिड़ियाघर के कर्मचारियों ने बताया कि मिराक को लकी 2 के साथ घोंसला बनाते हुए देखा गया, जो इस तरह की गतिविधि में नर की भागीदारी का एक दुर्लभ उदाहरण है। नर लाल पांडा आमतौर पर ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं होते हैं। अधिकारी ग्यात्सो ने कहा, "दोनों बच्चे 12 महीने में बड़े हो जाएंगे और 18 महीने में युवा हो जाएंगे। इसके बाद भविष्य की प्रजनन रणनीतियों के तहत उनके स्वास्थ्य और अनुकूलता का आकलन किया जाएगा।"
लुप्तप्राय
क्यों जरूरी है लाल पांडा का संरक्षण?
लाल पांडा को IUCN की लुप्तप्राय प्रजातियों की सूची में शामिल किया गया है। हालिया समय में उनकी अनुमानित जंगली आबादी 2,500 से भी कम है। उनके आवास वनों की कटाई, अवैध शिकार और जलवायु परिवर्तन के कारण उनकी संख्या चिंताजनक रूप से कम होती जा रही है। यही कारण है कि लाल पांडा के संरक्षण के लिए प्रजनन कार्यक्रम बेहद अहम हो जाते हैं। ऐसा करने से उनकी आबादी बढ़ जाएगी और यह जानवर लुप्तप्राय नहीं रहेगा।