गिरगिट से प्रेरित होकर वैज्ञानिकों ने पहली बार बनाई रंग बदलने वाली त्वचा, जानें ख़ासियत
पृथ्वी पर कई तरह के अद्भुत जीव हैं, उन्ही में से एक अद्भुत जीव है गिरगिट, जो परिस्थितियों के हिसाब से अपनी त्वचा का रंग बदलने में माहिर है। हाल ही में गिरगिट से प्रेरित होकर शोधकर्ताओं ने एक स्मार्ट त्वचा बनाई है, जो गर्मी और सूरज की रोशनी के संपर्क में आते ही कुछ विशेष एप्लिकेशन एक्टिव होने पर तेज़ी से रंग बदलती है और गिरगिट की तरह आँखों को धोखा देने में सक्षम है। आइए जानें।
प्रकृति के अवलोकन के आधार पर विकसित की नई अवधारणा
ACS नैनो जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के पहले लेखक Yixiao Dong ने कहा, "गिरगिट को रंग बदलते हुए देखने पर मुझे यह कमाल का विचार आया।" उन्होंने आगे कहा, "प्रकृति कैसे यह करती है, उसके अवलोकन के आधार पर हमने रंग बदलने वाली स्मार्ट त्वचा के लिए एक नई अवधारणा विकसित की है।" आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गिरगिट के अलावा कई अन्य जीवों जैसे टेट्रा मछली ने भी रंग बदलने की क्षमता विकसित की है।
बारीक गोल्ड कोटेड पार्टिकल और तेल में वॉटर वेपर की मदद से तैयार हुई त्वचा
वैज्ञानिकों ने पॉलिमर में बारीक गोल्ड कोटेड पार्टिकल और तेल में वॉटर वेपर की मदद से इस ख़ास त्वचा को तैयार किया है। इससे जुड़ा शोध जनरल एडवांस ऑप्टिकल मटेरियल में इसी सप्ताह प्रकाशित हुआ है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि त्वचा में मौजूद रंग बदलने वाला मटेरियल प्रकाश की गर्मी से वॉटर वेपर के गुच्छों में परिवर्तित हो जाता है।इसके बाद जैसे-जैसे प्रकाश के कारण गर्मी कम या ज़्यादा होगी, वैसे-वैसे त्वचा का रंग बदलने लगेगा।
त्वचा में मौजूद पिग्मेंट की वजह से बदलता है रंग
हालाँकि, इस त्वचा की गिरगिट, कटलफिश या दूसरी रंग बदलने वाली प्रजातियों से तुलना नहीं की जा सकती है। रंग बदलने वाले जीवों को क्रोमाटोफ़ॉर नाम से जाना जाता है। यह जीव त्वचा में मौजूद पिग्मेंट से अपना रंग बदलने में सक्षम होते हैं। यह पिग्मेंट पूरे शरीर में हर तरफ़ होता है और ख़तरा होने पर बचाव में फैल जाता है। ख़तरे की स्थिति में ख़ुद को छिपाने या बचाने के लिए अक्सर ये प्राणी ऐसा करते हैं।
बदलती परिस्थितियों में अधिक लचीली थी त्वचा
अध्ययन की वरिष्ठ लेखिका सलाइता ने कहा, "कोई भी ऐसा छलावा नहीं चाहता है, जो रंग बदलने के लिए सिकुड़े"।यही कारण है कि सलाइता के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने एक स्मार्ट त्वचा बनाने के लिए काम किया, जो बदलती परिस्थितियों में अधिक लचीला था।