डोपिंग बैन पर बोले शॉ- कहा- फिजियो से नहीं पूछना थी मेरी गलती
पृथ्वी शॉ ने अंडर-19 विश्व कप के बाद काफी जल्दी भारतीय टीम में अपनी जगह बना ली थी। भारतीय टीम के लिए अपने पहले ही टेस्ट में उन्होंने शानदार शतक लगाया था। हालांकि, इसके बाद वह चोटिल हुए और फिर डोपिंग बैन में भी फंस गए। कफ सीरप पीने के कारण शॉ डोपिंग टेस्ट में फेल हुए थे। अब उन्होंने इस पर टिप्पणी की है और बताया है कि इस मामले के लिए वह स्वयं को दोषी मानते हैं।
फिजियो से नहीं पूछना थी मेरी गलती- शॉ
News 18 के मुताबिक क्रिकबज से बात करते हुए शॉ ने बताया कि कैसे यह पूरी घटना हुई थी। उन्होंने कहा, "इस घटना के लिए मैं और मेरे पिता जिम्मेदार हैं। हम इंदौर में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी खेल रहे थे और मैं खांसी से परेशान था। मैंने अपने पिता से इस बारे में बात की तो उन्होंने कोई कफ सीरप लेने को कहा। मैंने फिजियो से बात नहीं की और यही मेरी गलती थी।"
काफी कठिन था मेरे लिए वह समय- शॉ
शॉ ने आगे बताया कि दो दिन तक कफ सीरप पीने के बाद तीसरे ही दिन उन्होंने अपना डोप टेस्ट कराया था। उन्होंने कहा, "इसके बाद मैं बैन किए गए पदार्थ को लेने का दोषी पाया गया था। मेरे लिए वह समय काफी कठिन था। मैं अपनी इमेज को लेकर परेशान था और सोच रहा था कि लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे। इन सब चीजों से बचने के लिए ही मैं लंदन चला गया था।"
शॉ पर लगा था आठ महीनों का प्रतिबंध
शॉ के मूत्र के नमूने में टर्ब्यूटालीन मिला था जो कि आमतौर पर खांसी के सीरप में होता है, लेकिन इसे खिलाड़ियों के लिए बैन किया गया है। उन्हें डोपिंग के लिए आठ महीने के लिए 2019 जुलाई में बैन किया गया था, लेकिन इस सजा के चार महीने निलंबित थे। चार महीने का बैन झेलने वाले शॉ ने उसी साल दिसंबर में मैदान में वापसी की थी।
एक बार फिर कठिन समय से गुजर रहे हैं शॉ
डोपिंग विवाद से बाहर निकलने के बाद शॉ ने घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया और भारत के लिए अपना वनडे डेब्यू भी किया, लेकिन पिछले छह महीनों से एक बार फिर वह कठिन समय से गुजर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर शॉ केवल एक ही टेस्ट खेल सके थे और फिर इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में उन्हें टीम में शामिल भी नहीं किया गया। इंग्लैंड दौरे के लिए भी उन्हें नजरअंदाज किया गया है।