भारत की जीएस लक्ष्मी बनीं पहली महिला रेफरी, ICC ने किया ऐलान
जीएस लक्ष्मी ICC के इंटरनेशनल पैनल ऑफ मैच रेफरी में शामिल की जाने वाली पहली महिला बन गई हैं। 51 वर्षीया लक्ष्मी से पहले हाल ही में क्लेयर पोलोसाक ने पुरुषों के मैच में अंपायरिंग करने वाली पहली महिला होने का कारनामा किया था। लक्ष्मी को सबसे पहले 2008-09 में महिलाओं के घरेलु मैचों के लिए नियुक्त किया गया था और उन्होंने महिलाओं के तीन वनडे और तीन टी-20 में अपनी भूमिका निभाई है।
यह मेरे लिए काफी बड़ा सम्मान है- लक्ष्मी
ICC के पैनल में शामिल किए जाने के बाद लक्ष्मी ने ICC, BCCI ऑफिशियल्स और अपने सीनियर्स को धन्यवाद कहा। लक्ष्मी ने आगे कहा, "ICC द्वारा चुना जाना मेरे लिए सम्मान की बात है। भारत में मेरा क्रिकेटर और रेफरी दोनों के रूप में लंबा करियर रहा है और मैं उस अनुभव का पूरा उपयोग करना चाहूंगी।" इसके अलावा उन्होंने कहा कि वह इंटरनेशनल क्रिकेट के लिए अच्छा काम करने के लिए अपना पूरा अनुभव लगा देंगी।
आठ हुई पैनल में शामिल होने वाली महिला अंपायरों की संख्या
ऑस्ट्रेलिया की एलोइस शेरिडन को ICC के डेवलेपमेंट पैनल ऑफ अंपायर की लिस्ट में शामिल किया गया है और इस तरह इस लिस्ट में शामिल होने वाली महिलाओं की संख्या आठ पहुंच गई है। मेंस बिग बैश लीग 2018-19 के दो मैचों में शेरिडन रिजर्व अंपायर थीं तो वहीं विमेंस बिग बैश लीग में उन्होंने चार मैचों में अंपायरिंग की थी। वह ऑस्ट्रेलिया में फर्स्ट-ग्रेड प्रीमियर क्रिकेट फाइनल में अंपायरिंग करने वाली पहली महिला भी हैं।
जीवन की सबसे महत्वपूर्ण चीज से जुड़े रहना शानदार- शेरिडन
पैनल में शामिल होने के बाद अपनी खुशी जाहिर करते हुए शेरिडन ने कहा कि क्रिकेट ने उन्हें घूमने का मौका दिया और कई शानदार लोगों से मिलवाया। आगे उन्होंने कहा, "क्रिकेट मेरे जीवन की काफी बड़ी चीज रही है और इसे कुछ वापस दे पाने मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। मैं इस मौके का लाभ नहीं ले पाती यदि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने मुझे सपोर्ट नहीं किया होता।"
सबसे सफल घरेलू भारतीय महिला टीम रेलवे की आउटस्विंग गेंदबाज थीं लक्ष्मी
भारत में महिला क्रिकेट की सबसे सफल घरेलू टीम रेलवे के लिए आउटस्विंग गेंदबाजी करने वाली लक्ष्मी ने कभी भारतीय टीम के लिए क्रिकेट नहीं खेला, लेकिन 1999 के इंग्लैंड दौरे पर भारतीय टीम का हिस्सा थीं। आंध्र प्रदेश में जन्म लेने वाली लक्ष्मी जमशेदपुर में बड़ी हुई थीं। 1986 में 10वीं में खराब अंक के कारण उनका कॉलेज में दाखिला नहीं हो पाया। बाद में स्पोर्ट्स कोटा के तहत उन्हें दाखिला मिला और वे कॉलेज की फ्रंटलाइन गेंदबाज बनीं।