नेशनल क्वांटम मिशन क्या है? चुनिंदा देश इस टेक्नोलॉजी पर कर रहे हैं काम
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने बुधवार को नेशनल क्वांटम मिशन को मंजूरी दे दी है। इस मिशन पर अगले 8 वर्षों में करीब 6,003 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
इस मिशन के साथ ही भारत विश्व के उन चुनिंदा 6 देशों में शुमार हो गया जो क्वांटम टेक्नॉलजी के क्षेत्र में रिसर्च और डिवेलपमेंट कर रहे हैं।
इसके जरिए भारत में सामान्य कंप्यूटरों के मुकाबले कई गुना पावरफुल कंप्यूटर तैयार किए जाएंगे। जान लेते हैं क्वांटम मिशन और इसके फायदे के बारे में।
टेक्नोलॉजी
क्या है क्वांटम टेक्नोलॉजी?
ये टेक्नॉलजी फिजिक्स और इंजीनियरिंग के क्वांटम थिअरी के सिद्धांत पर आधारित है।
क्वांटम फीजिक्स का जन्म उन्नीसवीं सदी में हुआ था।
ये सबअटॉमिक स्तर पर पदार्थ और ऊर्जा की व्याख्या करती है। इसी की वजह से यह जानना मुमकिन हो पाया कि प्रकाश एनर्जी-फोटान के बहुत ही सूक्ष्म, अविभाज्य यूनिट्स या क्वांटा से बना होता है।
इसका इस्तेमाल क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम क्रिप्टोग्राफी और क्वांटम सेंसिंग आदि में होता है।
कंप्यूटर
कम समय से कई गुना डाटा प्रोसेस किया जा सकेगा
क्वांटम टेक्नोलॉजी की मदद से बहुत कम समय में कई गुना डाटा और इन्फॉर्मेशन को प्रोसेस किया जा सकता है।
इसके तहत भारत ने अगले 8 सालों में 50 से 1000 क्यूबिट्स की मीडियम रेंज क्षमता वाले क्वांटम कंप्यूटर विकसित करने का लक्ष्य रखा है।
शुरुआती चरण में 50 फीजिकल क्यूबिट वाले कंप्यूटर इसके बाद 50 से 100 फीजिकल क्यूबिट और फिर आखिर तक में 1000 फीजिकल क्यूबिट वाले कंप्यूटरों को तैयार करने की योजना है।
टेस्टिंग
ये है तैयारी
नेशनल क्वांटम मिशन (NQM) के तहत शुरुआती 3 साल में भारत के भीतर 3000 किलोमीटर की सीमा में ग्राउंड स्टेशनों और रिसिवर के बीच सैटलाइट बेस्ड सुरक्षित क्वांटम कम्यूनिकेशन सिस्टम तैयार किया जाएगा।
2000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी वाले भारतीय के शहरों के बीच क्वांटम की डिस्ट्रिब्यूशन का इस्तेमाल करते हुए कम्यूनिकेशन लाइन बनाई जाएगी।
आने वाले सालों में दूसरे देशों के साथ क्वांटम कम्यूनिकेशन की टेस्टिंग की जा सकती है।
इस्तेमाल
इन क्षेत्रों की बदल सकती है सूरत
क्वांटम टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल स्वास्थ्य, रक्षा, ऊर्जा, डाटा सुरक्षा आदि में किया सकता है।
संचार और मौसम विज्ञान के क्षेत्र में क्वांटम टेक्नॉलजी का बड़ा असर देखने को मिल सकता है।
इसके जरिए ऐयरो-स्पेस इंजीनियरिंग, मौसम का सटीक पूर्व अवलोकन, फाइनैंशियल ट्रांजैक्शन, साइबर सिक्यॉरिटी, एजुकेशन, एग्रीकल्चर, नेविगेशन जैसे सेक्टर की सूरत बदली जा सकती है।
इससे नेक्स्ट जेनरेशन टेक्नॉलजी सामने आएंगी।
ये क्वांटम उपकरणों के निर्माण के लिए सुपरकंडक्टर्स, नए सेमीकंडक्टर आदि के निर्माण में मदद करेगा।