टिक-टॉक बैन होने के बाद देसी ऐप्स का 40 प्रतिशत मार्केट शेयर पर कब्जा
क्या है खबर?
जून, 2020 में शॉर्ट वीडियो मेकिंग ऐप टिक-टॉक पर बैन लगने के बाद कई देसी ऐप जमकर डाउनलोड किए गए हैं।
सामने आया है कि भारत में बनाए गए शॉर्ट वीडियो मेकिंग ऐप्स का मार्केट शेयर तेजी से बढ़ा है और टिक-टॉक के लगभग 40 प्रतिशत मार्केट शेयर पर इन ऐप्स ने पकड़ बना ली है।
नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय शॉर्ट वीडियो शेयरिंग ऐप्स में जोश (Josh) सबसे आगे है।
बैन
टिक-टॉक के पास थे करोड़ों यूजर्स
बैन से पहले भारत में टिक-टॉक का बड़ा मार्केट था और यहां करीब 17 करोड़ यूजर्स ऐप इस्तेमाल कर रहे थे।
जून, 2018 में टिक-टॉक पर करीब 8.5 करोड़ भारतीय यूजर्स थे, वहीं जून, 2020 तक यह आंकड़ा 16.7 करोड़ यूजर्स पर पहुंच गया था।
भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता को नुकसान पहुंचाने की आशंका के चलते टिक-टॉक समेत दर्जनों चीनी ऐप्स पर जून में बैन लगा दिया था।
मौका
कई देसी ऐप्स हुए लॉन्च
टिक-टॉक बैन के बाद बड़े यूजरबेस को अपने प्लेटफॉर्म पर लाने के लिए कई डिवेलपर्स ने टिक-टॉक जैसे ऐप्स लॉन्च किए।
डेली हंट की ओर से लॉन्च किए गए जोश ऐप के अलावा MX टकाटक, रोपोसो, चिंगारी, मोज, मित्रों और ट्रेल जैसे भारतीय वीडियो शेयरिंग ऐप्स खूब डाउनलोड किए गए।
इतना ही नहीं, फेसबुक-इंस्टाग्राम पर रील्स (Reels) और यूट्यूब पर शॉर्ट्स (Shorts) भी शॉर्ट वीडियो कंटेंट शेयर करने का विकल्प यूजर्स के लिए लेकर आए।
डाटा
जोश ऐप बाकियों से आगे
बेंगलुरू की मार्केट कंसल्टिंग फर्म रेडशीर (RedSeer) ने बताया है कि भारतीय ऐप्स ने टिक-टॉक के मार्केट शेयर का करीब 40 प्रतिशत हासिल कर लिया है।
कंटेंट की क्वॉलिटी, बेहतर लाइब्रेरी और यूजर्स को सही कंटेंट दिखाने के मामले में जोश ऐप सबसे आगे चल रही है।
रेडशीर के फाउंडर और CEO अनिल कुमार ने कहा, "नए शॉर्टफॉर्म प्लेटफॉर्म्स क्रिएटर्स की ओर से तैयार कंटेंट की मदद से यूजर्स को अच्छा एक्सपीरियंस दे रहे हैं।"
भविष्य
शॉर्ट वीडियो ऐप्स का भविष्य अच्छा
रेडशीर फाउंडर अनिल ने कहा है कि हर दिन नया क्वॉलिटी कंटेंट लाने के चलते ऐसी ऐप्स का इंगेजमेंट जनवरी में और बढ़ेगा और अगले पांच साल में 4 गुना ग्रोथ की उम्मीद की जा रही है।
भारतीय ऐप्स रोपोसो के करीब 3.3 करोड़ मंथली यूजर्स हैं और इसमें 10 भारतीय भाषाओं में कंटेंट देखा जा सकता है।
अनिल ने यह भी माना कि टिक-टॉक बैन हटने की स्थिति में इन प्लेटफॉर्म्स के लिए चुनौती जरूर पैदा हो सकती है।