
AI की मदद से 18 साल बाद दंपत्ति को मिली संतान की खुशी, जानिए कैसे
क्या है खबर?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) रक्षा और शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में काफी अधिक उपयोगी साबित हो रहा है। इसकी मदद से अब अमेरिका में एक दंपति को 18 साल बाद संतान की उम्मीद जगी है। पति को दुर्लभ बीमारी एजोस्पर्मिया थी, जिसमें शुक्राणु नहीं होते। IVF की कई कोशिशों में असफल होने के बाद उन्होंने AI तकनीक से उम्मीद लगाई। अब महिला गर्भवती हैं और बच्चा दिसंबर में होने की संभावना है।
मदद
AI ने कैसे की मदद?
AI की स्पर्म ट्रैकिंग और रिकवरी (STAR) तकनीक का इस्तेमाल कर कोलंबिया यूनिवर्सिटी फर्टिलिटी सेंटर ने स्पर्म के सैम्पल में केवल 3 दुर्लभ जीवित शुक्राणु खोजे। सामान्य माइक्रोस्कोप से इन्हें खोजना नामुमकिन था और घंटों तक कोई परिणाम नहीं मिलता था। AI आधारित स्पर्म ट्रैकिंग और रिकवरी सिस्टम ने 1 घंटे से कम समय में करोड़ों तस्वीरें स्कैन कर यह असंभव काम कर दिखाया। यही शुक्राणु IVF प्रक्रिया के लिए उपयोग किए गए, जिससे महिला गर्भवती हुई।
उम्मीद
AI तकनीक से जगी हजारों परिवारों की उम्मीद
इस STAR तकनीक को डॉक्टर जेव विलियम्स और उनकी टीम ने 5 साल में कड़ी मेहनत से विकसित किया। इसकी मदद से सैकड़ों की संख्या में ऐसे पुरुषों के नमूनों में शुक्राणु खोजे गए, जिनमें पहले माना जाता था कि वे कभी पिता नहीं बन सकते थे और हमेशा के लिए निराश हो चुके थे। यह तकनीक अब अमेरिका में धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है और इससे बांझपन से जूझ रहे कई दंपतियों में नई आशा और उम्मीद जगी है।
भविष्य
भविष्य में और भी होंगे उपयोग
विशेषज्ञों का मानना है कि AI केवल शुक्राणु ढूंढने तक सीमित नहीं रहेगा। अब इससे अंडे की गुणवत्ता मापने, भ्रूण की जांच करने और IVF प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए कई नए प्रयोग हो रहे हैं, जो काफी कारगर साबित हो सकते हैं। हालांकि, कुछ डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि तकनीक को अभी और परीक्षणों से गुजरना होगा। बता दें कि STAR तकनीक से शुक्राणु खोजने में करीब 2.600 लाख रुपये खर्च होंगे।