#NewsBytesExplainer: कमजोर सीटों पर ध्यान, मैदान में उतरेंगे दिग्गज; लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की तैयारी
लोकसभा चुनाव में अब केवल कुछ महीनों के समय बचा है। ऐसे में सभी पार्टियां इसकी तैयारियों में जुट गई है। विपक्ष गठबंधन बनाकर संयुक्त उम्मीदवार उतारने की रणनीति बना रहा है तो सत्तारूढ़ भाजपा भी तैयारियों में जुट गई है। हालिया विधानसभा चुनाव नतीजों से उत्साहित भाजपा इस बार 400 से ज्यादा सीटें जीतने की योजना पर काम कर रही है। आइए समझते हैं कि लोकसभा चुनावों को लेकर भाजपा की क्या तैयारी है।
हारी या कमजोर सीटों पर ज्यादा ध्यान
भाजपा उन 164 सीटों के लिए खास रणनीति बना रही है, जिन पर पिछले चुनावों में उसे या तो हार का सामना करना पड़ा था या मामूली अंतर से जीत मिली थी। इस बार इन सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए 45 मंत्रियों को जिम्मेदारियां दी गई हैं। इनमें गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हैं। हर राज्य में इस तरह की सीटों की पहचान कर ली गई है और इन पर खास ध्यान दिया जा रहा है।
टिकट बंटवारे के लिए सख्त पैमाना
भाजपा ने इस बार कम अंतर से जीतने वाले, लगातार 3 चुनाव जीतने वाले, 70 से अधिक उम्र वाले और अति सुरक्षित सीटों पर सांसदों के टिकट काटने की रणनीति बनाई है। ऐसी सीटों पर बेहद विशिष्ट परिस्थितियों में ही मौजूदा सांसदों को टिकट दिया जाएगा। वर्तमान में भाजपा के 56 सांसद 70 साल या उससे ज्यादा उम्र के हैं। इनमें कई वरिष्ठ नेता भी हैं, इसलिए केवल उम्र को देखते हुए ही उम्मीदवार नहीं बदला जाएगा।
वरिष्ठ नेताओं को मैदान में उतारने की तैयारी
पार्टी ने विधानसभा चुनावों की तरह लोकसभा चुनाव में भी कई वरिष्ठ नेताओं को मैदान में उतारने की रणनीति बनाई है। राज्यसभा सदस्य, केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेताओं को कमजोर सीटों पर उतारा जाएगा। विधानसभा चुनावों में भी पार्टी ने इस रणनीति को अपनाया था। भाजपा नेताओं का मानना है कि बड़े नेताओं के मैदान में उतरने का असर आसपास की सीटों पर भी पड़ता है। राज्यसभा में तीसरे कार्यकाल वाले नेताओं को भी लोकसभा में भेजने की तैयारी है।
चुनावी तारीख घोषित होने से पहले आएगी पहली सूची
विधानसभा चुनावों की तरह लोकसभा में भी चुनावी तारीख के ऐलान से पहले ही पार्टी पहली सूची जारी कर सकती है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई वरिष्ठ नेताओं समेत कुल 164 नाम हो सकते हैं। भाजपा का मानना है कि उम्मीदवारों के नाम का ऐलान जल्दी करने से मुश्किल सीटों पर ज्यादा ध्यान देने और प्रत्याशी को तैयारी के लिए ज्यादा वक्त मिलता है। जनवरी के आखिरी हफ्ते से लेकर फरवरी की शुरुआत में पहली सूची आ सकती है।
400 सीटें, 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल करने का लक्ष्य
2019 में भाजपा ने 436 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 303 को जीत मिली थी। अब पार्टी का लक्ष्य 400 सीटें जीतने का है। इसके लिए पिछली बार के मुकाबले ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी है। पार्टी उन सीटों पर कड़ी मेहनत कर रही है, जहां उसे एक बार भी जीत नहीं मिली है। ऐसी सीटें 199 हैं। इसके अलावा इस बार पार्टी ने 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
युवा और महिला उम्मीदवारों पर ध्यान
2019 चुनावों में पार्टी ने 224 सीटों पर 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल किए थे। इनमें से 42 सीटें ऐसी थी, जहां वोटों का अंतर 35 से 52 फीसदी था। यानी ये एक तरह से पार्टी की सुरक्षित सीटें हैं। इनमें से ज्यादातर पर युवा चेहरों को मौका मिल सकता है। पार्टी ने इसी साल संसद में महिलाओं को आरक्षण से जुड़ा विधेयक पारित किया है। इस लिहाज से महिलाओं को भी ज्यादा मौका मिल सकता है।
दूसरी पार्टी से नेताओं को लाने के लिए बनी समिति
भाजपा ने दूसरी पार्टियों से नेताओं को लाने के एक ज्वाइनिंग समिति बनाई है। इसका प्रभार विनोद तावड़े को दिया गया है। इस समिति का काम दूसरी पार्टियों के प्रभावशाली नेताओं और मौजूदा सांसदों को भाजपा में लाने की संभावना तलाशने का होगा। दरअसल, 2019 में भाजपा के साथ रहीं कई पार्टियां अब अलग हो गई हैं। बिहार में जनता दल यूनाइटेड (JDU), महाराष्ट्र में शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और पंजाब में शिरोमणि अकाली दल इस बार साथ नहीं है।