अडाणी-हिंडनबर्ग मामला: विपक्ष ने की संसद से ED कार्यालय तक मार्च की कोशिश, पुलिस ने रोका
अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद की जांच की मांग को लेकर 18 विपक्षी पार्टियों के नेताओं के मार्च को दिल्ली पुलिस ने रोक दिया। मोदी सरकार पर इस मामले की जांच का दबाव बनाने के लिए विपक्षी पार्टियों के नेता संसद से प्रवर्तन निदेशालय (ED) के दफ्तर तक मार्च करने की कोशिश कर रहे थे। पुलिस ने प्रदर्शनकारी नेताओं को विजय चौक की तरफ जाने से पहले ही बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया, जिसके बाद सभी प्रदर्शनकारी वापस संसद की ओर लौट गए।
विपक्ष की क्या है मांग?
विपक्ष पार्टियां सरकार से अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) गठित करने की मांग कर रही हैं। इसी मांग को लेकर विपक्षी नेताओं ने आज ED दफ्तर तक मार्च निकालने का ऐलान किया था, जिसे पुलिस ने संसद भवन से निकलते ही रोक दिया। इस मार्च में किन्हीं कारणों के चलते तृणमूल कांग्रेस (TMC) प्रमुख ममता बनर्जी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार शामिल नहीं हुए।
मल्लिकार्जुन खड़गे बोले- वे हमारी आवाज दबाना चाहते हैं
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दिल्ली पुलिस द्वारा मार्च रोके जाने के बाद कहा, "उन्होंने हमें यहां रोका है। हम 200 लोग हैं और कम से कम 2,000 पुलिसकर्मी हैं। वे हमारी आवाज दबाना चाहते हैं। और फिर वे लोकतंत्र की बात करते हैं।" प्रदर्शनकारी नेताओं ने मार्च वापस लेते हुए कहा कि उन्होंने ED के अधिकारियों से मिलने का समय मांगा और वह जल्द इस मामले को लेकर एक संयुक्त पत्र जारी करेंगे।
JPC के मुद्दे पर सभी विपक्षी पार्टियां एकमत- कांग्रेस
रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर साधा निशाना
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी इस मामले को लेकर एक ट्वीट करते हुए लिखा, 'भाजपा जानबूझकर संसद को स्थगित कर, अडाणी महाघोटाले पर चर्चा से भाग रही है। इसलिए नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ विपक्ष के सांसद सड़क पर उतरकर, देश के लोगों की बचत से हो रही खुली लूट की संयुक्त संसदीय समिति से जांच की मांग कर रहे हैं। आखिर "जांच की आंच" से मोदी सरकार इतना डर क्यों रही है?'
मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर हैं कई याचिकाएं
अडानी-हिंडनबर्ग मामले में अब तक सुप्रीम कोर्ट में 4 याचिकाएं दायर हुई हैं। वकील एमएल शर्मा और विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और एक्टिविस्ट मुकेश कुमार ने इस मामले पर याचिकाएं दायर कर रखी हैं। बीते दिनों कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए मामले की जांच के लिए 6 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित की थी। इस समिति को दो महीने में रिपोर्ट सौंपनी है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) भी मामले की जांच करेगा।
अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद क्या है?
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडाणी समूह पर वित्तीय गड़बड़ियों से जुड़े कई आरोप लगाए थे। फर्म ने कहा था कि अडाणी समूह ने शैल कंपनियों के जरिए गलत तरीके से निवेश करवा रखा है। इसके साथ ही निवेशकों को धोखा देते हुए शेयरों की कीमत 85 फीसदी तक बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई। जिस शेयर की कीमत 100 रुपये बताई गई, उसका असल मूल्य 15 रुपये है। रिपोर्ट आने के बाद से ही अडाणी समूह को भारी नुकसान हो रहा है।