कर्नाटक चुनाव: कांग्रेस की सत्ता वापसी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले 4 चेहरे
कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन करते हुए बड़ी जीत दर्ज की। पार्टी ने 224 सीटों में से 136 सीटें जीतीं। इस चुनाव में कांग्रेस की राष्ट्रीय इकाई से लेकर स्थानीय इकाई तक के नेताओं ने दिन-रात मेहनत कर पार्टी को जीत दिलाई है। इनमें कई लोग जमीन पर थे तो कई पर्दे के पीछे से रणनीति संभाल रहे थे। आइए ऐसे ही 4 नेताओं के बारे में जानते हैं।
डीके शिवकुमार
कांग्रेस की जीत में डीके शिवकुमार की भूमिका काफी बड़ी है। 2020 में वे ऐसे समय कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष बनाए गए थे, जब एक साल पहले ही वे मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जेल गए थे और पार्टी को उपचुनाव में हार मिली थी। अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने गुटबाजी पर काबू पाया और चुनाव प्रचार में खास भूमिका निभाई। शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से हैं और इस समुदाय के प्रभाव वाली करीब 30 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली है।
सिद्धारमैया
कर्नाटक कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया कुरुबा समुदाय से आते हैं और राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदाय का बड़ा चेहरा हैं। वे कर्नाटक के उन तीन मुख्यमंत्रियों में से हैं, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया है। 75 साल के सिद्धारमैया का मुकाबला वरुणा सीट पर लिंगायत समुदाय के वी सोमन्ना से था। उन्होंने न खुद जीत दर्ज की, बल्कि पूरे चुनाव प्रचार अभियान के दौरान राज्यभर की सीटों का दौरा किया।
मल्लिकार्जुन खड़गे
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक से ही हैं, इस वजह से उनके कंधों पर भी ज्यादा जिम्मेदारी थी। वे दलित समुदाय से हैं, जिसकी राज्य में करीब 20 फीसदी आबादी है। खड़गे ने इन वोटरों को कांग्रेस की ओर खींचा। खड़गे ने पूरे कर्नाटक में पार्टी की तरफ से ताबड़तोड़ प्रचार किया और रणनीति बनाने में अहम भूमिका निभाई। गुटबाजी कम करने और बयानबाजी को कंट्रोल करने में भी खड़गे की खास भूमिका रही।
सुनील कानुगोलू
सुनील कानुगोलू कर्नाटक में कांग्रेस के रणनीतिकार रहे। वे मार्च, 2022 में पार्टी से जुड़े थे और तब से ही आतंरिक सर्वे, प्रचार के नए तरीके निकालने, भाषणों में मुद्दों को उठाने और जनता की नब्ज टटोलने की रणनीति बनाने में जुटे थे। वे कई पार्टियों के साथ काम कर चुके हैं। खास बात है कि 2018 के विधानसभा चुनावों में वे भाजपा के साथ थे। उन्हें भारत जोड़ो यात्रा की रणनीति बनाने का श्रेय भी दिया जाता है।