जम्मू-कश्मीर विधानसभा में उपराज्यपाल द्वारा 5 विधायकों के मनोनयन पर विवाद, क्या है मामला?
जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे आज आ रहे हैं, लेकिन इससे पहले नया विवाद छिड़ गया है। दरअसल, यहां की विधानसभा में 5 विधायकों को उपराज्यपाल की ओर से मनोनीत किया जाएगा। ज्यादातर एग्जिट पोल में जम्मू-कश्मीर में त्रिशंकु विधानसभा की संभावना जताई गई है, ऐसे में इन मनोनीत विधायकों की भूमिका अहम होने वाले है। इसे लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा है। आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है।
विधायकों के मनोनयन पर क्या है कानून?
2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम पारित किया था। इससे राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेशों यानी जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में पुनर्गठित कर दिया गया था। इस अधिनियम में विधानसभा में 2 सदस्यों को नामित करने का प्रावधान किया गया था। 2023 में इस अधिनियम में संशोधन किए गए और नामित विधायकों की संख्या बढ़ाकर 5 कर दी गई। अब जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सदस्यों की संख्या 95 और बहुमत का आंकड़ा 48 हो गया है।
कौन होंगे नामित किए गए विधायक?
मनोनीत होने वाले विधायकों में 2 महिलाएं, विस्थापित कश्मीरी समुदाय की एक महिला समेत 2 सदस्य और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के विस्थापित समुदाय का एक सदस्य शामिल हैं। कश्मीरी प्रवासी उसे माना जाएगा, जिसने 1 नवंबर 1989 के बाद घाटी या जम्मू-कश्मीर के किसी भी हिस्से से पलायन किया हो और उसका नाम रिलीफ कमीशन में पंजीकृत हो। वहीं जो व्यक्ति 1947-48, 1965 या 1971 के बाद पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से आया होगा, उसे विस्थापित माना जाएगा।
मनोनीत विधायकों को क्या-क्या अधिकार मिलेंगे?
मनोनीत विधायकों को जनता के चुने हुए विधायकों की ही तरह सारे अधिकार मिलेंगे। इन विधायकों के पास सभी विधायी शक्तियां होंगी और विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और मतदान तक में हिस्सा ले सकेंगे। मनोनयन के बाद ये किसी पार्टी की सदस्यता भी ले सकते हैं। यही वजह है कि अगर किसी को भी बहूमत नहीं मिलता है तो नई सरकार में इन 5 विधायकों की भूमिका काफी अहम हो जाएगी।
उपराज्यपाल कैसे मनोनीत करेंगे विधायक?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुनर्गठन विधेयक में प्रावधान है कि कानून से जुड़े मामलों में उपराज्यपाल मंत्रिमंडल की सलाह पर काम करेंगे, लेकिन इसमें सदस्यों को नामित करने के लिए किसी की सलाह लेने की जरूरत नहीं है। यानी उपराज्यपाल अपने विवेक के आधार पर सदस्यों को नामित कर सकते हैं। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि उपराज्यपाल गृह मंत्रालय की सलाह पर विधायकों को मनोनीत कर सकते हैं।
विपक्ष ने किया विरोध
कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ने इस कदम का विरोध किया है। कांग्रेस ने कहा कि ये कदम लोकतंत्र और संविधान के मूल सिद्धांतों पर हमला है। वहीं, उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि लोगों को मनोनीत करना और उसे उपराज्यपाल के पास भेजना सरकार का काम है। PDP नेता इल्तिजा मुफ्ती ने कहा, "उपराज्यपाल को 5 सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार देना चुनावों में परिणाम पूर्व धांधली है।"