
H-1B वीजा मामले पर बोले राहुल गांधी- भारत का प्रधानमंत्री कमजोर; कांग्रेस ने भी घेरा
क्या है खबर?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा नियमों में बड़े बदलाव की घोषणा की है। इसका सबसे ज्यादा असर भारतीय पेशेवरों पर पड़ने की संभावना है। इस पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत के पास एक 'कमजोर प्रधानमंत्री' है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पुरानी पोस्ट को भी साझा किया, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री पर इसी तरह के आरोप लगाए थे।
कांग्रेस
कांग्रेस बोली- मोदी की नाकाम नीति का खामियाजा देश भुगत रहा
वहीं, कांग्रेस ने कहा, 'नरेंद्र मोदी के दोस्त ट्रंप ने H-1B वीजा की फीस बढ़ा दी है। पहले ये 6 लाख रुपये थी, अब 88 लाख रुपये हो गई है। इस फैसले से सबसे ज्यादा नुकसान भारत को होगा। भारतीयों के लिए नौकरी के मौके कम होंगे। अमेरिका से भारत आने वाले पैसे में कमी आएगी। भारत के IT प्रोफेशनल्स की नौकरियां खतरें में होंगी। साफ है- मोदी की नाकाम विदेश नीति का खामियाजा देश भुगत रहा है।'
खड़गे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी साधा निशाना
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने लिखा, 'प्रधानमंत्री जी! आपके जन्मदिन के बाद मिले रिटर्न गिफ्ट्स से भारतीय बहुत दुखी हैं। H-1B वीजा पर एक लाख डॉलर का वार्षिक शुल्क भारतीय तकनीकी कर्मचारियों पर सबसे ज्यादा असर डालेगा, 50 प्रतिशत टैरिफ पहले ही लगाया जा चुका है और चाबहार बंदरगाह से छूट हटाई गई। गले मिलना, खोखले नारे लगाना, संगीत कार्यक्रम आयोजित करना और लोगों से 'मोदी-मोदी' का नारा लगवाना विदेश नीति नहीं है!'
हाइड्रोजन बम
राहुल ने फिर उठाया हाइड्रोजन बम का मुद्दा
राहुल ने एक बार फिर वोट चोरी को लेकर हाइड्रोजन बम फोड़ने का दावा किया है। उन्होंने कहा, "हमारे पास 100 प्रतिशत सबूत हैं। जल्द ही हम एक 'हाइड्रोजन बम' फोड़ेंगे, जो पूरी सच्चाई देश के सामने रख देगा। यह मामला ओपन एंड शट है। हम बिना सबूत के कभी कुछ नहीं कहते। इस बार भी हमारे पास पूरे सबूत हैं।" उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने वोट चुराकर सत्ता हासिल की है।
बदलाव
अमेरिका ने H-1B वीजा को लेकर क्या बदला है?
अमेरिका अब H-1B वीजा के लिए हर साल करीब 88 लाख रुपये वसूलेगा। पहले ये राशि करीब 6 लाख रुपये थी। राष्ट्रपति ट्रंप ने इससे जुड़े आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं। ये फीस 21 सिंतबर से लागू होगी। इसका सबसे ज्यादा असर भारत पर होगा, क्योंकि अमेरिका हर साल 85,000 H-1B वीजा जारी करता है। इनमें से सबसे ज्यादा भारतीयों को जारी किए जाते हैं। हजारों की संख्या में खासतौर से भारतीय IT पेशेवरों पर इसका असर पड़ना तय है।