#NewsBytesExplainer: हरियाणा में AAP-कांग्रेस गठबंधन से किसे होगा फायदा, क्यों साथ आ रही दोनों पार्टियां?
हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने कमर कस ली है। इस बीच कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) गठबंधन के लिए बातचीत कर रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गठबंधन को लेकर बातचीत के लिए केसी वेणुगोपाल के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया है। AAP की ओर से भी गठबंधन को लेकर सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। आइए जानते हैं कि गठबंधन कितना फायदेमंद या नुकसानदायक हो सकता है।
गठबंधन में किसे-कितनी सीटें मिल सकती हैं?
हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, AAP हर लोकसभा सीट पर एक विधानसभा सीट की मांग कर रही है। यानी AAP यहां 10 सीटें मांग रही है, लेकिन खबर है कि कांग्रेस इतनी सीटें नहीं देना चाहती। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि कांग्रेस 4 सीटें देने पर सहमत है, जबकि कुछ में कहा गया है कि अधिकतम 7 सीटें दे सकती हैं।
कांग्रेस क्यों गठबंधन करना चाहती है?
इससे पहले गुजरात में कांग्रेस और AAP अलग-अलग लड़े थे। वहां कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ था। इसलिए विपक्ष के वोट न बंटने के लिए कांग्रेस गठबंधन चाह रही है। हरियाणा में वैसे भी भाजपा 10 साल से सत्ता में है। ऐसे में सत्ता-विरोधी भावना का फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा में भी गठबंधन कर राहुल दिखाना चाहते हैं कि विपक्षी गठबंधन INDIA केवल लोकसभा के लिए नहीं बना था।
गठबंधन से कांग्रेस क्या संदेश देना चाहती है?
दैनिक भास्कर के मुताबिक, राहुल हरियाणा के जरिए अगले साल होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव को भी साधना चाहते हैं। अगर हरियाणा में गठबंधन होता है तो दिल्ली में भी संभावनाएं बढ़ जाएंगी। इसे भाजपा के गैर-जाट राजनीति का तोड़ भी माना जा रहा है। कांग्रेस हरियाणा में जाट वोटों पर निर्भर है, लेकिन दुष्यंत चौटाला और अभय चौटाला की पार्टियां इसमें सेंध लगा सकती है। इसलिए कांग्रेस AAP का साथ चाह रही है।
AAP को गठबंधन से फायदा या नुकसान?
हरियाणा में अब तक AAP का प्रदर्शन निराशाजनक ही रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में AAP ने सभी 10 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन सभी की जमानत जब्त हो गई। इसके बाद पार्टी ने 2014 में ही हुए विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। 2019 के लोकसभा चुनावों में भी AAP ने 3 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन तीनों को मिलाकर करीब 45,000 वोट ही मिले। ऐसे में पिछला प्रदर्शन देखते हुए AAP को यहां सहयोगी की दरकार है।
2024 के लोकसभा चुनाव से मिला गठबंधन का संकेत?
हालिया लोकसभा चुनावों में हरियाणा में कांग्रेस ने एक सीट AAP को दी थी। भले ही इस सीट पर उसका उम्मीदवार हार गया हो, लेकिन पार्टी का वोट प्रतिशत 0.36 से बढ़कर 3.94 प्रतिशत हो गया है। विधानसभा सीटों की लिहाज से दिखा जाए कांग्रेस ने 42 और AAP ने 4 सीटों पर बढ़त बनाई थी। अगर इस आंकड़े को मिला दिया जाए तो ये बहुमत की संख्या का छू लेता है।
गठबंधन की राह में क्या हैं चुनौतियां?
दोनों पार्टियों के लिए गठबंधन इतना आसान भी नहीं है। माना जाता है कि हरियाणा कांग्रेस के कई नेता गठबंधन के पक्ष में नहीं है। नेताओं का कहना है कि पार्टी अकेले अपने दम पर अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। ठीक इसी तरह दिल्ली में भी AAP के साथ गठबंधन का कांग्रेस के कई नेताओं ने विरोध किया था। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि कई राज्यों में AAP ने उसे नुकसान पहुंचाया है।
पहले कितना सफल रहा दोनों पार्टियों का गठबंधन?
कांग्रेस और AAP ने बीते लोकसभा चुनाव में हरियाणा के अलावा गुजरात, गोवा, दिल्ली और चंडीगढ़ में एक साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि, AAP को खास फायदा तो नहीं हुआ, लेकिन उसके वोट प्रतिशत में जरूर इजाफा हुआ। चंडीगढ़ में मेयर चुनाव में कांग्रेस के समर्थन से AAP के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद लोकसभा चुनाव में AAP ने कांग्रेस प्रत्याशी मनीष तिवारी को समर्थन दिया और वे जीत गए।