#NewsBytesExplainer: हरियाणा विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियों के सामने क्यों है अस्तित्व बचाने की चुनौती?
हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए 5 अक्टूबर को मतदान होगा। यहां मुख्य मुकाबला सत्तारुढ़ भाजपा और कांग्रेस की बीच ही माना जा रहा है। भाजपा चुनावी दंगल में अकेले उतर रही है तो कांग्रेस आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ गठबंधन की संभावनाएं तलाश रही है। इस बीच कई क्षेत्रीय पार्टियां भी दम भर रही हैं। कुछ अकेले मैदान में हैं तो कुछ ने गठबंधन कर लिया है। आइए जानते हैं क्षेत्रीय पार्टियों के लिए चुनाव कितने अहम है।
कौन-सी क्षेत्रीय पार्टियां मैदान में हैं?
दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) ने चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी-कांशीराम (ASP-KR) के साथ गठबंधन किया है। गठबंधन में JJP 70 और ASP 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। ओमप्रकाश चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) ने बहुजन समाज पार्टी (BSP) के साथ गठबंधन किया है। INLD 53 और BSP 37 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। इसके अलावा हरियाणा लोकहित पार्टी (HLP) और हरियाणा जन चेतना पार्टी (HJCP) भी मैदान में है। HLP पहले से NDA में है।
कैसे गिरता जा रहा INLD का प्रदर्शन?
2018 तक INLD हरियाणा की लोकप्रिय क्षेत्रीय पार्टी हुआ करती थी। बाद में चौटाला परिवार में फूट पड़ गई और दुष्यंत चौटाला ने अपने पिता अजय सिंह चौटाला से नाता तोड़ INLD से निकलकर JJP की स्थापना की। INLD ने 2019 के विधानसभा चुनाव में केवल एक सीट पर जीत दर्ज की और मात्र 2.44 प्रतिशत वोट मिले। हालिया लोकसभा चुनाव में भी INLD को केवल 1.74 प्रतिशत वोट मिले हैं।
5 साल के भीतर ही बिखरने लगी JJP
2019 चुनाव में JJP ने 10 सीटें जीतीं और भाजपा को समर्थन दिया। हालांकि, 5 साल के अंदर ही दुष्यंत की पार्टी भी बिखरनी शुरू हो गई। पार्टी के 10 में से 4 विधायक भाजपा और 3 कांग्रेस में चले गए। फिलहाल JJP के पास मात्र 3 विधायक हैं, उनमें खुद दुष्यंत और उनकी मां नैना चौटाला भी हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में JJP को केवल 0.87 प्रतिशत वोट मिले।
हरियाणा में कैसा रहा है BSP का प्रदर्शन?
BSP का हरियाणा में सबसे बेहतर प्रदर्शन मात्र एक सीट जीतने का है। 2005 और 2014 में पार्टी को एक सीट पर जीत मिली थी। 2019 के विधानसभा चुनावों में BSP का सूपड़ा साफ हो गया था। पार्टी ने 87 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन एक भी जीत नहीं सकी थी। 2005 में BSP का वोट प्रतिशत 3.5 प्रतिशत था, जो 2019 में सिर्फ 0.16 प्रतिशत रह गया है।
INLD से छिन सकता है क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा
INLD ने हरियाणा को 5 बार मुख्यमंत्री दिया है, लेकिन अब उसके अस्तित्व पर ही संकट है। इस चुनाव में अगर INLD ने कम से कम 3 विधानसभा सीटें नहीं जीतीं तो उससे क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा छीन सकता है। चूंकि, INLD को लोकसभा में एक भी सीट नहीं मिली है, ऐसे में उसे चुनाव आयोग की शर्तों के मुताबिक, कम से कम 3 सीटें या 3 प्रतिशत वोट हासिल करने होंगे।
कैसा रह सकता है क्षेत्रीय पार्टियों का प्रदर्शन?
आज तक से बात करते हुए राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने कहा, "JJP और INLD का वोट बैंक खिसक चुका है और ये दोनों सिर्फ वजूद बचाने के लिए चुनाव लड़ रही हैं। दावा कुछ भी हो, लेकिन हकीकत है कि इन दोनों पार्टियों की लोकप्रियता लगातार गिर रही है। INLD और JJP ये सोचकर चुनाव लड़ रही हैं कि वे अगर सरकार बनाने की हालत में नहीं तो कम से कम किंगमेकर की भूमिका में जरूर सफल होंगी।"
हरियाणा में कब होने हैं चुनाव?
हरियाणा में सभी 90 विधानसभा सीटों पर 5 अक्टूबर को मतदान और 8 अक्टूबर को मतगणना होगी। पहले यहां 1 अक्टूबर को मतदान और 4 अक्टूबर को मतगणना होनी थी, लेकिन लंबी छुट्टियों का हवाला देकर तारीख आगे बढ़ाई गई है। पिछले चुनावों में भाजपा को 40 सीटें मिली थीं और उसने 10 सीटें जीतने वाली JJP के साथ सरकार बनाई थी। कांग्रेस को 31, INLD और HLP को 1-1 और 7 सीटों पर निर्दलीय जीते थे।