क्या चंपई सोरेन के भाजपा में जाने से गिरेगी हेमंत सोरेन सरकार? जानिए विधानसभा के आंकड़े
अटकलें हैं कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन भाजपा में शामिल हो सकते हैं। वे कुछ विधायकों के साथ दिल्ली में हैं और यहां कथित तौर पर भाजपा आलाकमान के साथ उनकी मुलाकात होनी है। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में चंपई ने खुद इस बात के संकेत दिए हैं। इसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या चंपई के भाजपा में जाने से हेमंत सोरेन की सरकार गिर सकती है? आइए इसका जवाब जानते हैं।
झारखंड विधानसभा में किसके पास कितने विधायक?
झारखंड विधानसभा में कुल 82 सदस्य हैं, जिनमें से 81 चुने जाते हैं और एक मनोनीत किया जाता है। फिलहाल सरकार में शामिल झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के पास 26, कांग्रेस के पास 16, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पास एक-एक विधायक है। (कुल 44) विपक्ष में भाजपा के 23, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU) के 3, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का एक और 2 विधायक निर्दलीय हैं। (कुल 29) राज्य की 8 सीटें फिलहाल खाली हैं।
क्या है बहुमत का आंकड़ा?
विधायक सीता सोरेन के इस्तीफा देने और 4 विधायकों के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद विधानसभा का आंकड़ा 73 रह गया है। ऐसे में बहुमत के लिए 37 सांसदों का समर्थन जरूरी है। अगर चंपई अन्य 6 विधायकों के साथ भाजपा में जाते हैं तो हेमंत सोरेन सरकार को समर्थन देने वाले विधायकों की संख्या 44 से घटकर 37 पर आ जाएगी, जो बहुमत का आंकड़ा है। हालांकि, अभी ये पता नहीं है कि चंपई के साथ कितने विधायक हैं।
क्या सोरेन सरकार पर कोई खतरा है?
मान लीजिए चंपई से अलग 7 विधायक भाजपा में जाते हैं। तब हेमंत सरकार पर मामूली खतरा होगा। चंपई समेत 8 विधायक भाजपा में जाने से सरकार के समर्थन में आंकड़ा 36 होगा, वहीं विपक्ष का आंकड़ा 37 हो जाएगा। हालांकि, अगर हेमंत विधायकों को पार्टी से निष्कासित कर विधानसभा सदस्यता रद्द कर दें तो सदन की कुल संख्या 65 रह जाएगी। ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 33 पर आ जाएगा। इस स्थिति में सरकार को कोई खतरा नहीं होगा।
क्या भाजपा लाएगी अविश्वास प्रस्ताव?
दरअसल, इसी साल फरवरी में ही चंपई ने विधानसभा में बहुमत साबित किया था। ऐसे में एक सवाल ये भी उठता है कि क्या 6 महीने के भीतर दोबारा अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। संविधान के जानकारों का कहना है कि दोबारा अविश्वास प्रस्ताव लाने को लेकर कोई समयसीमा नहीं है। हालांकि, राजनीतिक जानकार कहते हैं कि भाजपा अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाएगा, क्योंकि कुछ ही महीने बाद राज्य में चुनाव होना है।
बहुमत परीक्षण के दौरान चंपई को कितने विधायकों का समर्थन था?
फरवरी में बहुमत परीक्षण के दौरान चंपई के समर्थन में 47 विधायकों ने वोट किया था, जबकि विरोध में 29 विधायक थे। बहुमत साबित करने के लिए 40 विधायकों का समर्थन जरूरी था। तब 81 विधायकों में से 79 ने बहुमत परीक्षण में हिस्सा लिया था और सत्तारूढ़ गठबंधन के एक विधायक और विपक्ष के एक विधायक सदन में अनुपस्थित रहे थे। इस दौरान 'रिजॉर्ट पॉलिटिक्स' भी देखने को मिली थी।