भाजपा को 2022-23 में मिले 1,200 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड, कांग्रेस से 7 गुना ज्यादा
क्या है खबर?
वित्त वर्ष 2022-23 में भाजपा को चुनावी बॉन्ड के जरिए 1,294.14 करोड़ रुपये का चंदा मिला है। यह इसी अवधि में कांग्रेस को मिले चंदे से 7 गुना ज्यादा है।
दूसरी ओर, चुनावी खर्च के मामले में भी भाजपा विपक्षी पार्टियों से कहीं आगे हैं। भाजपा ने इस दौरान चुनावों पर 1,092.15 करोड़ रुपये खर्च किए। ये कांग्रेस के मुकाबले 5 गुना ज्यादा है।
कांग्रेस ने 2022-23 में चुनावों पर 192.55 करोड़ रुपये खर्च किए थे।
आय
भाजपा की आय में भी बढ़ोतरी
चुनाव आयोग को सौंपी गई ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, इस वित्त वर्ष में भाजपा की कुल आय 1,917.12 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,360.84 करोड़ रुपये हो गई है। दूसरी तरफ, 2022-23 में कांग्रेस की आय सिर्फ 452.37 करोड़ रुपये थी।
दोनों मुख्य पार्टियों के खर्चों में भी बड़ा अंतर है। कांग्रेस ने इस दौरान कुल 467.13 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि भाजपा ने 1,361.68 करोड़ रुपये अलग-अलग कामों पर खर्च किए। पिछले साल यह 854 करोड़ रुपये था।
भाजपा
भाजपा की 54 प्रतिशत आय चुनावी बॉन्ड से हुई
भाजपा को मिले कुल 2,360 करोड़ रुपये में से 54 प्रतिशत चुनावी बॉन्ड के जरिए मिले हैं। ये पिछले साल (2021-22) के 1,033.7 करोड़ रुपये के मुकाबले 25 प्रतिशत ज्यादा है।
व्यक्तियों, कंपनियों और चुनावी ट्रस्टों के दान सहित अन्य स्रोतों से भाजपा को कुल 648 करोड़ रुपये मिले। पिछले साल इन क्षेत्रों से पार्टी को 721.7 करोड़ रुपये मिले थे।
भाजपा को बैंकों में जमा राशि पर कुल 237.3 करोड़ रुपये का ब्याज भी मिला है।
कांग्रेस
कांग्रेस की आय में कमी
2021-22 में कांग्रेस की आय 541 करोड़ रुपये थी, जो अब घटकर 452 करोड़ रुपये रह गई है।
कांग्रेस को मिलने वाले चंदे में चुनावी बॉन्ड का हिस्सा भी कम हुआ है। 2022-23 में चुनावी बॉन्ड के जरिए पार्टी को 171 करोड़ रुपये मिले, जबकि 2021-22 में 236 करोड़ रुपये मिले थे।
भाजपा ने अपने कुल खर्च का 80 प्रतिशत चुनाव प्रचार पर खर्च किया। विज्ञापनों पर ही 432.14 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
फायदा
चुनावी बॉन्ड से भाजपा को हुआ ज्यादा फायदा
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के मुताबिक, मार्च, 2018 से जुलाई, 2023 के बीच पार्टियों को चुनावी बॉन्ड के रूप में 13,000 करोड़ रुपये का दान मिला।
2018 और 2022 के बीच भारतीय स्टेट बैंक (SBI) द्वारा 9,208 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे गए थे। इनकी 58 प्रतिशत राशि भाजपा को मिली।
वित्त वर्ष 2017-18 और 2021-22 के बीच पार्टियों को बॉन्ड से मिलने वाले चंदे में 743 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
बॉन्ड
क्या होता है चुनावी बॉन्ड?
चुनावी बॉन्ड एक सादा कागज होता है, जिस पर नोटों की तरह उसकी कीमत छपी होती है। इसे कोई भी व्यक्ति या कंपनी खरीदकर अपनी मनपंसद राजनीतिक पार्टी को चंदे के तौर पर दे सकता है।
बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान गुप्त रहती है।
केंद्र सरकार ने 2017 के बजट में इसकी घोषणा की थी, जिसे लागू 2018 में किया गया। हर तिमाही में SBI 10 दिन के लिए चुनावी बॉन्ड जारी करता है।