बिहार: दूसरे चरण की 122 सीटों पर किसका पलड़ा भारी, सीमांचल में ओवैसी करेंगे कमाल?
क्या है खबर?
बिहार में दूसरे चरण का चुनाव प्रचार आज खत्म हो गया है। अब 11 नवंबर को 18 जिलों की 122 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। इन सीटों पर 1,302 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। दूसरे चरण में उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों से लेकर चंपारण, मिथिलांचल और सीमांचल क्षेत्र की सीटों पर मतदान होगा। ज्यादातर सीटों पर भाजपा और महागठबंधन में सीधा-सीधा मुकाबला है। आइए दूसरे चरण की सीटों का लेखा-जोखा समझते हैं।
सीटें
पारंपरिक रूप से किसका रहा है दबदबा?
दूसरे चरण में जिन सीटों पर मतदान होना है, वे बिहार के मध्य, पश्चिमी और उत्तरी क्षेत्रों में हैं। पारंपरिक तौर पर उत्तरी मिथिलांचल, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी और सारण जिलों में भाजपा का दबदबा रहा है। दूसरी ओर महागठबंधन का मगध क्षेत्र में मजबूत जनाधार है, जिसमें गया, औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद और अरवल जिले आते हैं। सीमांचल में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ ही असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM का भी प्रभाव है।
पिछले परिणाम
क्या रहे थे पिछले चुनाव के परिणाम?
2020 में इन सीटों में से NDA को 66 और महागठबंधन को 49 मिली थीं। ओवैसी की पार्टी ने 5 और बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने एक सीट जीती थी। NDA में भाजपा ने 42 सीटें जीती थीं और जनता दल यूनाइटेड (JDU) केवल 20 सीटें जीत सकी थी। NDA में शामिल जीतनराम मांझी की पार्टी ने भी 4 सीट जीती थीं। वहीं, महागठबंधन में RJD ने 33, कांग्रेस ने 11 और CPI माले ने 5 सीटें जीती थीं।
सीमांचल
सीमांचल में फिर किंगमेकर बनेंगे ओवैसी?
किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, अररिया और आसपास के जिलों वाले सीमांचल क्षेत्र में 24 सीटें आती हैं। 2020 में यहां AIMIM ने 5 सीटें जीतकर खासतौर से RJD के समीकरण गड़बड़ा दिए थे। मुस्लिम बहुल इन इलाकों के मतादात परंपरागत तौर पर RJD और कांग्रेस के वोटर माने जाते रहे हैं। हालांकि, 2020 में AIMIM ने इस वोट बैंक में सेंध लगाई। AIMIM यहां फिर सक्रिय है। अगर वोट बंटे तो NDA को फायदा हो सकता है।
NDA
NDA के सामने क्यों हैं चुनौतियां?
मिथिलांचल और तिरहुत NDA की ताकत रहे हैं। देखा जाए तो पहले चरण में JDU की सांख दाव पर थी, तो दूसरे चरण में भाजपा की है। भाजपा के सामने अपनी सीटों को बचाए रखने की चुनौती है। NDA में शामिल जीतनराम मांझी की भी इस चरण में अग्निपरीक्षा है। वहीं, जमुई में भी इसी चरण में मतदान है। यहां चिराग पासवान को अपने मजबूत इलाके में खुद को साबित करना होगा।
महागठबंधन
महागठबंधन की भी अग्निपरीक्षा
महागठबंधन में RJD और कांग्रेस के लिए कठिन परीक्षा है। पिछले चुनाव में कांग्रेस इस इलाके में खास प्रदर्शन नहीं कर सकी थी, क्योंकि AIMIM ने उसका खेल बिगाड़ दिया था। मगध में पिछली बार RJD ने जोरदार प्रदर्शन किया था। यहां के यादव, मुस्लिम और दलित वोटों के समीकरण उसके पक्ष में थे। RJD के सामने न सिर्फ ये सीटें बचाने की, बल्कि इन्हें बढ़ाने की भी चुनौती है। CPI को भी अपने कोटे की सीटें बचाए रखना होगी।