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बिहार चुनाव परिणाम 2025: दूसरों को जिताने वाले प्रशांत किशोर का सूपड़ा साफ, क्या छोड़ेंगे राजनीति?
बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी का बेहद खराब प्रदर्शन हुआ है

बिहार चुनाव परिणाम 2025: दूसरों को जिताने वाले प्रशांत किशोर का सूपड़ा साफ, क्या छोड़ेंगे राजनीति?

लेखन आबिद खान
Nov 14, 2025
02:53 pm

क्या है खबर?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे राजनीतिक पदार्पण कर रहे प्रशांत किशोर के लिए सबसे बड़ा झटका है। उनकी जन सुराज पार्टी सभी सीटों पर पिछड़ गई है। बिहार में पलायन को मुद्दा बनाने, लोगों को तीसरा विकल्प देने और राज्य के कोने-कोने में पैदल यात्रा करने के बावजूद प्रशांत एक भी सीट जीतते नहीं दिख रहे हैं। अतीत में कई पार्टियों की जीत में भूमिका निभाने वाले प्रशांत अपनी विजय गाथा नहीं लिख सके हैं।

सीट

प्रशांत ने किया था 150 सीटें जीतने का दावा

2 अक्टूबर, 2024 को प्रशांत ने औपचारिक रूप से जन सुराज पार्टी की घोषणा की। एक साल के भीतर ही उन्होंने चुनावों में 200 से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए। उन्होंने दावा किया था कि वे 150 के आसपास सीटें जीतेंगे या फिर 10 से कम। अभी तो उनका एक भी उम्मीदवार विधायक बनता नहीं दिख रहा है। यहां तक कि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर प्रशांत की पार्टी से जुड़े आंकड़े भी नहीं दिखाई दे रहे हैं।

राजनीति

क्यों हो रही है प्रशांत की राजनीति छोड़ने की बात?

प्रशांत ने कहा था कि जनता दल यूनाइटेड (JDU) 25 से भी कम सीटें जीतेंगी और अगर ऐसा नहीं हुआ, तो वे राजनीति छोड़ देंगे। न्यूज24 को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था, "2-3 बातें लिखकर ले लीजिए। NDA की सरकार बिल्कुल नहीं आ रही है, नीतीश कुमार नवंबर के बाद मुख्यमंत्री नहीं होंगे और JDU को 25 से ज्यादा सीटें नहीं आ रही है। अगर ज्यादा आई तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।"

करियर

प्रधानमंत्री मोदी से लेकर नीतीश की जीत में निभाई अहम भूमिका

2014 के लोकसभा चुनाव में प्रशांत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभियान में अहम भूमिका निभाई। चाय पे चर्चा, 3D रैलियां, रन फॉर यूनिटी और मंथन जैसे अभियान उन्ही के दिमाग की उपज थे। इन्होंने भाजपा की जीत में अहम भूमिका निभााई। 2015 में उन्होंने नीतीश के लिए भी काम किया। उन्हें 2018 में JDU का उपाध्यक्ष भी बनागा गया। इसके अलावा वे कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), तृणमूल कांग्रेस (TMC) समेत कई पार्टियों के लिए काम कर चुके हैं।

वजह

क्या है प्रशांत के फीके प्रदर्शन की वजह?

बिहार में जातिगत समीकरण बेहद मायने रखते हैं। प्रशांत ने डॉक्टरों, प्रोफेसरों, शिक्षाविदों और अच्छी शैक्षणिक स्थिति वाले लोगों को बड़ी संख्या में टिकट दिए, लेकिन इनमें से ज्यादातर के पास कोई राजनीतिक अनुभव नहीं था और न ही वे जातिगत समीकरणों में फिट बैठ रहे थे। इसके अलावा प्रशांत बीते सालों में जिन पार्टियों को सफलता दिलाकर गर्व कर रहे थे, उनके पास अपना संगठनात्मक ढांचा था, जिसे बनाने के लिए जन सुराज को और मेहनत करनी होगी।

अगला कदम

आगे क्या करेंगे प्रशांत?

PTI से बात करते हुए जन सुराज के प्रवक्ता पवन वर्मा ने कहा, "हमने पूरी ईमानदारी से काम किया, इस विश्वास के साथ कि बिहार में बुनियादी बदलाव की जरूरत है। अगर हमने लोगों का विश्वास नहीं जीता, तो हम इसका विश्लेषण जरूर करेंगे। बिहार प्रशांत को नहीं छोड़ सकता है और न ही वे बिहार को छोड़ सकते हैं। नतीजे आने के बाद वे भविष्य की दिशा तय करेंगे।"