बिहार चुनाव परिणाम 2025: NDA के पास ही रहेगी सत्ता, क्या है इस जीत की वजहें?
क्या है खबर?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम आ रहे हैं। शुरुआती रुझानों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) भारी बहुमत से सरकार बनाता दिख रहा है। NDA 189 सीटों पर आगे चल रहा है, जो पिछले विधानसभा चुनावों से 65 ज्यादा हैं। अकेले नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (JDU) महागठबंधन पर भारी पड़ती दिखाई दे रही है। JDU 75 सीटों पर आगे है, जबकि महागठबंधन केवल 49 सीटों पर। आइए जानते हैं बिहार में NDA की वापसी की वजहें।
महिलाएं
नारी शक्ति ने दिया NDA का साथ
बिहार चुनावों से ठीक पहले नीतीश ने 1.30 करोड़ महिलाओं के खाते में 10-10,000 रुपये भेजे, विधवाओं की पेंशन राशि में बढ़ोतरी की और छात्राओं को मुफ्त साइकिल और यूनिफॉर्म दी। इसी का असर था कि महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा मतदान किया, जिसका फायदा NDA को हुआ। 2020 के चुनावों में 2.08 करोड़ महिलाओं ने मतदान किया था। तब NDA को महागठबंधन के मुकाबले 2.08 लाख ज्यादा महिलाओं के वोट मिले थे।
जंगलराज
काम कर गया प्रधानमंत्री का 'जंगलराज' मुद्दा
बिहार चुनाव में प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने RJD के शासन काल के दौरान के कथित जंगलराज के मुद्दे को खूब उठाया। उन्होंने कई रैलियों में कट्टा, दुनाली और रंगदारी जैसे शब्दों के जरिए मतदाताओं से कहा कि RJD की वापसी से जंगलराज भी वापस आ जाएगा। राज्य में प्रधानमंत्री की लोकप्रियता ने आम लोगों में जंगलराज के इस संदेश को और मजबूत करने में मदद की ।
मुफ्त योजनाएं
मुफ्त योजनाओं ने तय की जीत
बिहार में नीतीश ने कई नकद योजनाएं शुरू कीं या पुरानी योजनाओं की राशि बढ़ाई। सभी को 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी गई, वृद्धावस्था पेंशन की राशि 400 रुपये से बढ़ाकर 1,100 रुपये कर दी, जिसका फायदा राज्य के 1.2 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को हुआ। नीतीश ने अपने पिछले कार्यकाल में भी इस तरह की योजनाएं शुरू की थीं। तब भी नीतीश को फायदा हुआ था। लोगों को महागठबंधन के वादों की बजाय तुरंत के फैसलों पर यकीन हुआ।
भावनाएं
सेहत से जुड़ी अटकलों से नीतीश को मिला भावनात्मक समर्थन
चुनावों की शुरुआत से ही नीतीश के स्वास्थ्य का मुद्दा जोर पकड़ रहा था। दावा किया गया कि नीतीश की सेहत बिगड़ रही है और हो सकता है कि ये उनका बतौर मुख्यमंत्री आखिरी कार्यकाल हो। भाजपा की ओर से भी अगले मुख्यमंत्री को लेकर खुलकर कुछ नहीं कहा गया। इससे संकेत गया कि नीतीश का ये आखिरी चुनाव है। मतदाताओं ने यहां तक कहा कि वे नीतीश की हार के साथ विदाई नहीं करना चाहते।
विपक्ष
SIR और वोट चोरी ने भटकाया विपक्ष का ध्यान
बिहार में बेरोजगारी, पलायन और कानून व्यवस्था की स्थिति बड़े मुद्दे थे। बेरोजगारी और पलायन के मुद्दे पर प्रशांत किशोर की जन सुराज ने भी बड़े-बड़े वादे किए। इन मुद्दों पर वोट बंट गया। इसके बाद विपक्ष ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और वोट चोरी के मुद्दे को उठाया। खुद राहुल गांधी ने इसे लेकर तेजस्वी यादव के साथ यात्रा निकाली। हालांकि, चुनाव आते-आते ये दोनों मुद्दे गायब हो गए।