भाजपा में शामिल होने के बाद 92 प्रतिशत 'दागी' नेताओं को एजेंसियों से राहत मिली- रिपोर्ट
केंद्र की मोदी सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगता है। विपक्ष आरोप लगाता है कि मोदी सरकार एजेसियों के जरिए विपक्षी नेताओं को प्रताड़ित करती है और जब वे भाजपा में शामिल हो जाते हैं तो उनके खिलाफ दर्ज केस खारिज कर दिए जाते हैं। अब एक ऐसा आंकड़ा सामने आया है जो इन आरोपों को सही साबित करता है। इसके अनुसार, भाजपा से हाथ मिलाने के बाद 92 प्रतिशत 'दागी' नेताओं को राहत मिल गई।
क्या कहते हैं आंकड़े?
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की जांच के अनुसार, 2014 से अब तक केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई का सामना कर रहे 25 बड़े नेता भाजपा या उसके गठबंधन में शामिल हुए हैं, जिनमें से 23 को राहत मिली है। भाजपा में शामिल होने वालों में कांग्रेस के 10, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और शिवसेना के 4-4, तृणमूल कांग्रेस (TMC) के 3, तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के 2 और समाजवादी पार्टी (SP) और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) के एक-एक नेता शामिल रहे।
3 मामले बंद किए गए, 20 ठंडे बस्ते में
रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा से हाथ मिलाने के बाद 3 नेताओं से संबंधित मामलों को बंद कर दिया गया, वहीं 20 नेताओं के मामले अभी ठंडे बस्ते में पड़े हैं और इनमें कोई कार्रवाई नहीं हो रही। इनमें से 6 नेताओं ने तो इसी साल पाला बदला है। इस सूची में सबसे ज्यादा 12 नेता महाराष्ट्र के हैं, जहां 2022 और 2023 में शिवसेना और NCP में तख्तापलट करके भाजपा ने अपनी सरकार बनाई। 11 नेता 2022 के बाद पलटे।
किन-किन बड़े नेताओं को मिली राहत?
जुलाई, 2023 में अजित पवार ने NCP तोड़कर भाजपा के साथ सरकार बनाई और जनवरी, 2024 में महाराष्ट्र सहकारी बैंक में अनियमितता को लेकर उनके खिलाफ दर्ज मामला बंद कर दिया गया। प्रफुल्ल पटेल (NCP) के खिलाफ दर्ज एयर इंडिया विमान खरीद में घोटाले से संबंधित मामला पिछले महीने बंद कर दिया गया। शारदा चिट फंड घोटाले में आरोपी असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा 2015 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए। तब से जांच ठंडे बस्ते में है।
सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ जांच भी ठंडे बस्ते में
इसी तरह पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी दिसंबर, 2020 में तृणमूल कांग्रेस (TMC) छोड़ भाजपा में शामिल हुए और तब से नारदा स्टिंग मामले में उनके खिलाफ जांच ठंडे बस्ते में है।
विपक्षी नेताओं के मामलों में उलट स्थिति, तेजी से होती है कार्रवाई
विपक्षी नेताओं के मामले में इसके ठीक उलट स्थिति है। इन मामलों में तेजी से कार्रवाई होती है और पिछले 2 महीने में ही 2 मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शामिल हैं। सोरेन ने गिरफ्तारी से ठीक पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। 2014 के बाद जिन नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों ने कार्रवाई की है, उनमें 95 प्रतिशत विपक्षी नेता हैं।