जानिए योनि मुद्रा के अभ्यास का तरीका, इसके लाभ और अन्य महत्वपूर्ण बातें
क्या है खबर?
योनि मुद्रा एक ऐसी योग हस्त मुद्रा है, जो शरीर और दिमाग को तनाव से राहत दिलाकर शांत रखने में मदद कर सकती है।
अगर इसका नियमित तौर पर सही तरीके से अभ्यास किया जाए तो यह शरीर और दिमाग की अशुद्धियों को दूर करने और सेहतमंद बनाए रखने में मदद करती है।
आइए आज हम आपको इस हस्त मुद्रा के अभ्यास का तरीका और इससे संबंधित अन्य कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में विस्तार से बताते हैं।
अभ्यास
योनि मुद्रा के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर सुखासन की मुद्रा में बैठें।
अब सामान्य रूप से सांस लेते हुए दोनों हाथों की कनिष्ठा उंगली, अनामिका उंगली और मध्यमिका उंगली को मोड़कर आपस मे मिलाएं।
इसके बाद दोनों हाथों की तर्जनी उंगली और अंगूठे को ऊपरी हिस्से की तरफ से आपस में मिलाएं। ध्यान रहें कि इन्हें मोड़ना नहीं है, फिर अपनी दोनों आंखों को बंद करें और अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें।
30 से 45 मिनट तक इस मुद्रा में रहें।
सावधानियां
योनि मुद्रा के अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
अगर आपको पीठ और घुटनों में दर्द या फिर रीढ़ की हड्डी से जुड़ी कोई बीमारी है तो ज्यादा देर तक इस मुद्रा का अभ्यास न करें।
मुद्रा बनाकर कभी भी हाथों को उल्टा नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे मुद्रा के अभ्यास से फायदे कम और नुकसान ज्यादा हो सकते हैं।
कुछ खाने या पीने के तुरंत बाद इस मुद्रा का अभ्यास न करें क्योंकि इससे पाचन क्रिया पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
फायदे
योनि मुद्रा के निरंतर अभ्यास से मिलने वाले फायदे
यह मुद्रा यौन संबंधी विकारों को दूर करने में मदद कर सकती है।
इस मुद्रा के अभ्यास से मन को शांत और तनाव से दूर रखना काफी आसान हो जाता है।
यह मुद्रा शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को भी बढ़ाता है।
इस मद्रा से आंतरिक अंगों के कार्य अच्छे से होते हैं।
यह मुद्रा लिवर के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।
यह मुद्रा वात दोष के कारण होने वाली समस्याओं के जोखिम कम करने में भी सहायक है।
टिप्स
योनि मुद्रा के अभ्यास से जुड़ी खास टिप्स
बेहतर होगा कि आप इस मुद्रा का अभ्यास सुबह आठ बजे से पहले करें क्योंकि इससे आपको इसका भरपूर फायदा मिल सकता है।
अगर आप पहली बार इस मुद्रा का अभ्यास करने जा रहे है तो किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में यह अभ्यास करें।
इस मुद्रा के अभ्यास के दौरान सांस पर ज्यादा दबाव न डालें।
किसी शांत जगह पर इस मुद्रा का अभ्यास करें ताकि ध्यान लगाना आसान हो।