शून्य मुद्रा: जानिए इस योगासन के अभ्यास का तरीका और अन्य महत्वपूर्ण बातें

योग को दो मुद्राओं में बांटा गया है, जिसमें एक शारीरिक मुद्रा है और दूसरी, हस्त मुद्रा। शारीरिक मुद्रा में योगासन और प्रणायाम शामिल हैं। वहीं, हस्त मुद्रा में हाथों से की जाने वाली मुद्राएं शामिल होती हैं। इन्हीं हस्त मुद्राओं में से एक है शून्य मुद्रा। अगर आप नियमित इस मुद्रा का अभ्यास करते हैं तो आपको इससे ढेरों स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। आइए आज हम आपको इस मुद्रा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
सबसे पहले योगा मैट पर पद्मासन या किसी भी आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं और आंखें बंद कर लें। अब अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखें और फिर अपने अंगूठों से मध्यम उंगलियों को इस प्रकार दबाएं कि आपके उनके बीच में शून्य का आकार बनें। इस दौरान बाकि की उंगलियां सीधी होनी चाहिए। अब सामान्य रूप से सांस लेते रहें और कुछ देर इस मुद्रा में रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।
कुछ खाने या पीने के तुरंत बाद इस मुद्रा का अभ्यास न करें क्योंकि इससे पाचन क्रिया पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। अगर आपके अंगूठे या मध्यमा उंगली में किसी तरह की चोट है या हड्डियों में तकलीफ है तो जबरदस्ती इस मुद्रा का अभ्यास न करें क्योंकि इससे आपकी परेशानी बढ़ सकती है। इस मुद्रा के अभ्यास के दौरान अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न लगाएं क्योंकि इससे चोट लगने की संभावना बढ़ सकती है।
इसके अभ्यास से शरीर का ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। यह मुद्रा कानों की समस्याओं से राहत दिला सकती है। शून्य मुद्रा करने से गले के रोगों को भी दूर किया जा सकता है और इससे आवाज साफ होती है। यह मुद्रा मन की चंचलता को दूर करने में भी सहायक है। इस मुद्रा का विकार सांस के विकारों को दूर करने के लिए भी किया जा सकता है। शून्य मुद्रा के नियमित अभ्यास से इच्छा शक्ति मजबूत होती है।
शुरूआत में इस मुद्रा का अभ्यास किसी योग गुरू की निगरानी में ही करें। इस मुद्रा का अभ्यास करते समय शरीर में अधिक तनाव पैदा न करें और शांत दिमाग से इसका अभ्यास करें। इस मुद्रा का अभ्यास किसी शांत जगह पर बैठकर करें ताकि आपका ध्यान पूरी तरह से इस पर केंद्रित हो सके। सुबह के समय इस मुद्रा का अभ्यास करना लाभदायक माना जाता है।