रिलेशनशिप की जगह 'सिचुएशनशिप' में क्यों आते हैं जोड़े? अध्ययन से सामने आई वजह
क्या है खबर?
कुछ सालों से डेटिंग का एक नया ट्रेंड शुरू हो गया है, जिसे सिचुएशनशिप का नाम दिया जाता है। इस तरह के रिश्ते में जोड़े एक दूसरे को पार्टनर का दर्जा नहीं देते हैं और कमिटमेंट नहीं करते हैं। सिचुएशनशिप में आने के बाद लोग प्रेमी जोड़ों की तरह रहते तो हैं, लेकिन रिश्ते को कोई नाम नहीं देते। एक अध्ययन के जरिए यह पता लगाया गया है कि आखिर जोड़े रिलेशनशिप के बजाय सिचुएशनशिप में क्यों रहने लगे हैं।
अध्ययन
इस मकसद से किया गया यह अनोखा अध्ययन
इस अनोखे अध्ययन को 'सेक्सुअलिटी एंड कल्चर' नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इसे 'क्या सिचुएशनशिप परिस्थितिजन्य होती हैं?: सिचुएशनशिप में होने की प्रेरणाओं पर एक मिश्रित-विधि अध्ययन' नाम दिया गया है। यह अध्ययन मिकी लैंग्लाइस और उनकी टीम ने मिलकर किया है। शोधकर्ताओं का उद्देश्य सिचुएशनशिप में रहने के लिए प्रेरणाओं की पहचान करना और यह निर्धारित करना था कि क्या ये प्रेरणाएं उच्च संतुष्टि या प्रतिबद्धता से जुड़ी हैं या नहीं।
शोधकर्ता
शोधकर्ता पिछले 3 सालों से इस विषय पर कर रहे हैं अध्ययन
अध्ययन को बायलर विश्वविद्यालय के रॉबिन्स कॉलेज ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन साइंसेज के मानव विज्ञान और डिजाइन विभाग के शोधकर्ताओं ने किया। उन्होंने एक मिश्रित-पद्धति अध्ययन किया था, जिसमें इंटरव्यू और डाटा इखट्टा करने के लिए सर्वेक्षण किए गए थे। यह टीम पिछले 3 सालों से सिचुएशनशिप के विषय में अध्ययन कर रही थी। इससे पहले इन्हीं शोधकर्ताओं ने एक और अध्ययन किया था, जिससे पता चल कि सिचुएशनशिप की गुणवत्ता अन्य प्रकार के रिश्तों की तुलना में कम थी।
प्रक्रिया
सिचुएशनशिप में रहने वाले 10 प्रतिभागियों को किया गया अध्ययन में शामिल
इस अध्ययन के लिए सबसे पहले 10 प्रतिभागियों का इंटरव्यू लिया गया था, जो या तो वर्तमान में सिचुएशनशिप में थे या पहले ऐसे रिश्ते में रहे थे। सभी प्रतिभागियों की उम्र 18 से 30 साल के बीच थी। इंटरव्यू के दौरान उनसे ऐसे सवाल किए गए कि वे सिचुएशनशिप में कैसे फंस गए और वे अब तक इस रिश्ते में क्यों बंधे हुए थे। सभी इंटरव्यू के विषयगत विश्लेषण के जरिए शोधकर्ताओं ने 7 कारणों की पहचान की।
कारण
सिचुएशनशिप में क्यों रह रहे थे प्रतिभागी?
सामने आया कि सिचुएशनशिप में रहने के कारण विशिष्टता, निवेश, भावनात्मक जरूरतों की पूर्ति, भविष्य के बारे में बात-चीत, प्रयास, प्राथमिकता और विश्वास थे। कुछ प्रतिभागियों का मानना था कि वे अपने साथी के साथ कमिटेड थे, भले ही इस विषय पर उनकी खुलकर बात नहीं हुई थी। वहीं, कुछ ने बताया कि उन्होंने अपने सिचुएशनशिप में इस उम्मीद से काफी समय और भावनाएं लगाईं कि यह रिश्ता एक न एक दिन रिलेशनशिप में बदल जाएगा।
सर्वेक्षण
इंटरव्यू के बाद किया गया था सर्वेक्षण
इसके बाद शोधकर्ताओं ने इंटरव्यू में पहचाने गए कारणों पर आधारित एक ऑनलाइन सर्वेक्षण तैयार किया। उन्होंने 89 कॉलेज छात्रों की मदद ली, जो सामूहिक रूप से 109 सिचुएशनशिप में रहे थे। सर्वेक्षण में संतुष्टि और प्रतिबद्धता मानकों का उपयोग करके संबंधों की गुणवत्ता का आकलन किया गया। प्रतिभागियों ने 1 से 7 के पैमाने का उपयोग करके यह मूल्यांकन किया कि पचने गए 7 कारण उनके अपने सिचुएशनशिप पर किस हद तक लागू होते हैं।
निष्कर्ष
लगभग एक समान रहे इंटरव्यू और सर्वेक्षण के नतीजे
सर्वेक्षण के परिणामों ने काफी हद तक इंटरव्यू से सामने आए नतीजों की पुष्टि की। सामने आया कि जिन प्रतिभागियों ने सिचुएशनशिप में मूल्यवान महसूस किया, वे लंबे समय तक इस तरह के रिश्ते में बने रहे। साथी का प्रयास जैसे करक रिश्ते की संतुष्टि को तय नहीं कर पाए। हालांकि, स्नेह, ध्यान या समझे जाने के एहसास जैसी भावनात्मक जरूरतों की पूर्ति सिचुएशनशिप में रहने का एक बड़ा कारण बनकर उभरी।