भूमिगत फंगस गेहूं को बना सकते हैं ज्यादा पौष्टिक, नए अध्ययन में हुआ खुलासा
क्या है खबर?
वैज्ञानिकों ने गेहूं की फसलों को खराब होने से बचाने का एक नया तरीका खोज निकाला है। ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने पाया है कि जब किसान गेहूं की फसल में विशिष्ट फंगस डालते हैं तो अनाज काफी ज्यादा जिंक अवशोषित करता है। ऐसा करने से आयरन के अवशोषण में भी सुधार हुआ, लेकिन गेहूं में आयरन का स्तर नहीं बढ़ा। आइए इस अध्ययन के बारे में विस्तार से जानते हैं।
अध्ययन
गेहूं की फसल को बेहतर बनाने के लिए किया गया यह अध्ययन
इस अध्ययन को 'प्लांट्स, पीपल, प्लैनेट' नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया था। दुनियाभर में 200 करोड़ लोगों को पर्याप्त जिंक नहीं मिलता, जबकि 450 करोड़ लोगों को पर्याप्त आयरन नहीं मिलता। इन दोनों तत्वों की कमी से कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं। दुनियाभर में ज्यादातर लोग गेहूं का सेवन करके ही इन तत्वों को हासिल कर पाते हैं। यही कारण है कि वैज्ञानिकों ने यह अध्ययन करने का फैसला किया, ताकि गेहूं की फसल सुधारी जा सके।
प्रक्रिया
वैज्ञानिकों ने उगाई थीं ऑस्ट्रेलियाई गेहूं की 8 किस्में
वैज्ञानिकों ने नियंत्रित ग्रीनहाउस परिस्थितियों में ऑस्ट्रेलियाई गेहूं की 8 किस्में उगाईं। उन्होंने राइजोफैगस इरेगुलरिस नामक फंगस की उपस्तिथि में उगाए गए पौधों की तुलना उन पौधों से की, जिनमें यह फंगस नहीं डाला गया था। उन्होंने करीब 192 अलग-अलग गमलों में इन पौधों को उगाया था और कम और उच्च फास्फोरस उर्वरक, दोनों स्थितियों में उनका परिक्षण किया था। 3 महीने के बाद शोधकर्ताओं ने इस अनाज की कटाई की और खास तकनीकों का उपयोग करके उनका विश्लेषण किया।
नतीजे
क्या रहे इस अध्ययन के नतीजे?
वैज्ञानिकों ने विशेष रासायनिक विश्लेषण के साथ खनिज सामग्री को मापा। इसके बाद उन्होंने एक्स-रे प्रौद्योगिकी का उपयोग करके हर एक कण में जिंक के संचय को दर्शाने वाले खास मानचित्र बनाए। जड़ों की जांच से पता चला कि जब मिट्टी में फास्फोरस कम होता है तो फंगस जड़ के 70 प्रतिशत हिस्से तक सफलतापूर्वक पहुंचते हैं। वहीं, जब फास्फोरस प्रचुर मात्रा में होता है तो यह संख्या घटकर लगभग 40 प्रतिशत रह जाती है।
उपज
फंगस से गेहूं को हुए ये फायदे
गेहूं की 5 किस्मों (कैलिबर, मेस, रॉकस्टार, सेप्टर और ट्रोजन) ने फंगस के साथ प्रयोग करने पर मिट्टी की स्थिति की परवाह किए बिना जिंक के स्तर में वृद्धि दिखाई। वहीं, बाकि किस्मों ने विशिष्ट उर्वरक स्थितियों में सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। ग्लेडियस किस्म में 19.26 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम की जिंक सांद्रता पाई गई। फंगस ने गेहूं की उत्पादकता भी बढ़ाई। कुछ किस्मों में अनाज का वजन 7-10 प्रतिशत तक बढ़ गया था।