लक्षण दिखने से 10 साल पहले बीमारी को पकड़ लेगा ये ब्लड टेस्ट, जानें कैसे
क्या है खबर?
सोचिए कैसा हो अगर आपको कोई गंभीर बीमारी होने से 10 साल पहले ही इसके बारे में पता चल जाए? जल्द ही ऐसा हो सकता है। खून में पाए जाने वाले प्रमुख पदार्थों पर यूनाइटेड किंगडम (UK) में किए गए सबसे बड़े अध्ययन ने इसका रास्ता साफ कर दिया है। इस अध्ययन में मिले नतीजों के आधार पर ब्लड टेस्ट तैयार किए जा रहे हैं, जिनसे लक्षण दिखने से 10 साल पहले ही बीमारी के बारे में पता चल सकेगा।
अध्ययन
खून के अंदर मौजूद 250 से ज्यादा पदार्थों को मापा गया
स्वास्थ्य और जीवनशैली से संबंधित दुनिया के सबसे बड़े डाटासेट यूके बायोबैंक ने हाल में एक शोध पूरा किया है। इस शोध में 5 लाख लोगों के खून के सैंपल में प्रोटीन, शुगर, फैट और यूरिया जैसे लगभग 250 पदार्थों को मापा गया। इससे हर व्यक्ति के शरीर के बारे में विस्तृत जानकारी मिली और इस जानकारी को उनके मेडिकल रिकॉर्ड से मिलाकर डायबिटीज, कैंसर, डिमेंशिया और दिल संबंधी बीमारियों के जोखिम का अंदाजा पहले से लगाया जा सकता है।
टेस्ट
शोध के आधार पर तैयार किए जा रहे ब्लड टेस्ट
इस शोध से जो नतीजे मिले, उनके आधार पर अब ब्लड टेस्ट तैयार किए जा रहे हैं, जिनसे लक्षण दिखने से 10 साल पहले ही बीमारी के खतरे के बारे में पता चल सकता है। जब भी किसी व्यक्ति के अंग में कोई दिक्कत होगी, उसके ब्लड टेस्ट के नतीजे बदल जाएंगे और इससे भविष्य में हो सकने वाली बीमारी का पता लगाया जा सकेगा। 5 लाख लोगों का डाटा होने से शोधकर्ताओं को ऐसे टेस्ट बनाने में आसानी होगी।
उदाहरण
इस तरीके से काम करेंगे ये टेस्ट
उदाहरण के लिए मान लीजिए कि किसी की किडनी अच्छे से काम नहीं कर रही है तो उसके खून में यूरिया और क्रिएटिन का स्तर बढ़ जाएगा। ये ब्लड टेस्ट में पकड़ में आ जाएगा और कोई लक्षण दिखने से पहले ही बीमारी को होने से रोका जा सकेगा। इसी तरह लिवर में दिक्कत पर अमोनिया और कैंसर में ग्लूकोस का स्तर बढ़ जाता है। ब्लड टेस्ट से इसके बारे में पता चल जाएगा और समय पर इलाज हो सकेगा।
बदलाव
इलाज की जगह बीमारी को होने से रोकने पर रहेगा ध्यान
शोधकर्ताओं और डॉक्टर्स का कहना है कि इन ब्लड टेस्ट से बीमारी होने के बाद इसके इलाज की जगह बीमारी को होने से ही रोका जा सकेगा। अगर किसी व्यक्ति को 10-15 साल पहले पता चल जाएगा कि उसे ये बीमारी होने का खतरा है तो डॉक्टर्स समय से दखल देकर वो बीमारी होने का खतरा कम कर सकेंगे। डिमेंशिया और कैंसर जैसी बीमारियों में ये बहुत प्रभावी साबित हो सकता है, जिनमें समय बहुत मायने रखता है।