सेबोरिक डर्मेटाइटिस क्या है? जानिए इसके कारण, लक्षण और इलाज
सेबोरिक डर्मेटाइटिस त्वचा से जुड़ी स्थिति है, जो स्कैल्प को प्रभावित करती है। इससे ग्रस्त व्यक्ति के स्कैल्प पर सफेद रंग के पपड़ीदार पैच और जिद्दी डैंड्रफ हो जाता है। यह समस्या शरीर की तैलीय जगहों को प्रभावित करती है। अगर समय रहते इस समस्या के इलाज पर ध्यान न दिया जाए तो स्थिति गंभीर हो सकती है। आइए आज सेबोरिक डर्मेटाइटिस के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में जानते हैं।
सेबोरिक डर्मेटाइटिस के लक्षण
सेबोरहाइक डर्मेटाइटिस के लक्षणों में परतदार त्वचा या पपड़ी से ढकी तैलीय त्वचा के पैच शामिल हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त प्रभावित हिस्से पर लालिमा और खुजली भी हो सकती है। आमतौर पर यह सिर पर दिखाई देता है, लेकिन यह शरीर पर कहीं भी हो सकता है। बता दें कि ठंड और शुष्क मौसम के दौरान इसके लक्षणों में तेजी आती है। बहुत अधिक तनाव लेने से यह त्वचा की स्थिति ट्रिगर हो सकती है।
सेबोरिक डर्मेटाइटिस के कारण
सेबरेरिक डार्माटाइटिस का सटीक कारण अभी भी अच्छे से स्पष्ट नहीं है, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि मालासेजिया नामक खमीर की अत्यधिक वृद्धि इस समस्या का कारण हो सकती है। शरीर में एण्ड्रोजन हार्मोन्स का बढ़ता स्तर भी इसका कारण बन सकता है। त्वचा के बढ़े हुए लिपिड स्तर या पारिवारिक इतिहास को भी इस समस्या के लिए जिम्मेदार माना जा सकता है।
सेबरेरिक डार्माटाइटिस का इलाज
सेबरेरिक डार्माटाइटिस का इलाज करना मुश्किल नहीं है और कई मामलों में तो यह खुद ही ठीक हो जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में यह अजीवन मुसीबत भी बन सकता है। त्वचा और बालों की अच्छी देखभाल इस समस्या को नियंत्रित कर सकती है। अगर आपके चेहरे और शरीर पर यह समस्या है तो प्रभावित क्षेत्रों को साफ रखें। धूप के अधिक संपर्क में रहने से खमीर के विकास को रोकने में भी मदद मिल सकती है।
सेबरेरिक डार्माटाइटिस और सोरायसिस के बीच अंतर
सोरायसिस और सेबरेरिक डार्माटाइटिस एक जैसी त्वचा से जुड़ी स्थिति लग सकती हैं। दोनों के कारण त्वचा पर लालिमा आ जाती है और प्रमुख रूप से स्कैल्प को प्रभावित करती है। हालांकि, सोरायसिस की तुलना में सेबरेरिक डार्माटाइटिस से भिन्न होती है। सेबरेरिक डार्माटाइटिस के पैच हटाने में आसान होते हैं, लेकिन सोरायसिस पैच कठोर होते हैं। एक ही समय में दोनों स्थितियां होने की संभावना अधिक भी हो सकती है।
सर्दियों में ज्यादा बिगड़ सकती है स्थिति
सर्दियों के दौरान हवा शुष्क और बहुत नमी युक्त हो जाती है। इससे स्कैल्प रूखी हो जाती है और इसके परिणामस्वरूप स्कैल्प परतदार हो सकती है, जिससे सेबरेरिक डार्माटाइटिस को बढ़ावा मिल सकता है। इसके अलावा, ठंडे मौसम में मलेसेजिया खमीर के बढ़ने की अधिक संभावना रहती है, जो सेबरेरिक डार्माटाइटिस का कारण बनता है। गर्मियों के दौरान सूरज की UV-A और UV-B किरणें इस खमीर की ग्रोथ को रोक देती हैं।