पीने के पानी में मौजूद प्रदूषक बनते हैं मस्तिष्क क्षति और संज्ञानात्मक हानि का कारण- अध्ययन
क्या है खबर?
जीने के लिए पानी बेहद जरूरी होता है, लेकिन क्या हो अगर वह ही आपके बीमार पड़ने की वजह हो? जी हां, एक अध्ययन से समाने आया है कि पीने के पानी में कुछ आम प्रदूषक मौजूद होते हैं। ये प्रदूषक मस्तिष्क क्षति और संज्ञानात्मक हानि का कारण बन सकते हैं और आपको मानसिक व शारीरिक रूप से बीमार कर सकते हैं। आइए इस नए अध्ययन के विषय में विस्तार से जानते हैं।
अध्ययन
पानी में मौजूद होते हैं हानिकारक PFAS
यह अध्ययन चीन के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है और इसे जर्नल ऑफ हैजार्डस मैटेरियल्स नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इसमें पाया गया कि पेर और पॉलीफ्लोरोएल्काइल पदार्थों (PFAS) के लंबे समय तक संपर्क में रहने से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली बाधित हो सकती है, न्यूरॉन्स को नुकसान पहुंच सकता है और याददाश्त व व्यवहार बिगड़ सकता है। ये पदार्थ पीने के पानी और पर्यावरण में फैले हुए हैं और दिमाग के स्वास्थ्य को हानि पहुंचा सकते हैं।
PFAS
क्या होते हैं PFAS?
PFAS सिंथेटिक रसायनों का एक समूह है, जो पानी, ग्रीस और गर्मी के प्रति अपने प्रतिरोध के लिए जाना जाता है। ये रसायन रोजमर्रा के न जाने कितने ही उत्पादों में पाए जाते हैं, जिनमें नॉन-स्टिक बर्तन, खाद्य पैकेजिंग, वाटरप्रूफ कपड़े, कालीन और अग्निशमन फोम शामिल हैं। ये आसानी से विघटित नहीं होते, इसलिए ये मिट्टी, पानी, हवा और जीवों में भी पाए जाते हैं। इन्हें कई वैज्ञानिक 'फॉरएवर केमिकल' भी कहते हैं, क्योंकि ये आसानी से खत्म नहीं होते।
जानकारी
शरीर में कैसे प्रवेश करते हैं PFAS?
दूषित पानी पीने, उसमें मौजूद मछली खाने या धूल में सांस लेने से PFAS शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। साथ ही सौंदर्य उत्पाद, डेंटल फ्लॉस और सफाई उत्पादों का उपयोग करने से भी इनके फैलने का खतरा रहता है।
प्रक्रिया
चूहों पर परिक्षण कर पूरा किया गया अध्ययन
शोधकर्ताओं ने 7 हफ्तों तक चूहों को दूषित पानी पिलाया। इसके बाद पीने के पानी में मौजूद PFAS का परीक्षण किया और वास्तविक दुनिया में इसके प्रभाव की जांच करने का प्रयास किया। पानी और रसायन के इस मिश्रण में 0.2 से 20 माइक्रोग्राम प्रति लीटर की सांद्रता वाले 17 PFAS यौगिक शामिल थे। जांच के बाद पाया गया कि चूहों के दिमाग में PFPeA, PFHpA, 6:2 FTC और PFOs नामक रसायन जमा हो गए थे।
नतीजे
चूहों के दिमाग में हुए ये बड़े बदलाव
PFAS यौगिक चूहों के दिमाग के रक्त-मस्तिष्क अवरोध को पार करने में सक्षम रहे। उनकी सांद्रता इतनी ज्यादा थी कि वे मस्तिष्क की गतिविधियों में हस्तक्षेप कर सकते थे। शोधकर्ताओं ने इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी का उपयोग करके दिमाग से आने वाले विद्युत संकेतों को रिकॉर्ड किया। उन्होंने 2 प्रमुख प्रकार की मस्तिष्क तरंगों में परिवर्तन देखा। इनमें से एक ध्यान और स्मृति से जुड़ी बीटा तरंगें थीं, जो कम हुईं। जबकि, दूसरी संज्ञानात्मक प्रसंस्करण से जुड़ी गामा तरंगें थीं, जो बढ़ गईं।
लक्षण
चूहों के व्यवहार में भी देखे गए परिवर्तन
खुले मैदान में किए गए परीक्षणों के दौरान चूहों में चिंता के लक्षण दिखाई दिए। उन्होंने कम दूरी तय की और परीक्षण क्षेत्र में जानें से परहेज किया। स्मृति परीक्षणों में चूहों को नए वातावरण का अन्वेषण करने में ज्यादा समय लगा और उन्हें परिचित और नई वस्तुओं के बीच अंतर करने में भी कठनाई हुई। इससे पता चलता है कि ये रसायन स्मृति, ध्यान और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
निष्कर्ष
अभी और शोध की जरूरत-शोधकर्ता
इस अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि PFAS के संपर्क से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली खराब हो सकती है। ये मस्तिष्क के ऊतकों में रासायनिक संचय, न्यूरोट्रांसमीटर प्रणालियों में हस्तक्षेप, सूजन मार्गों की सक्रियता और जीन अभिव्यक्ति में परिवर्तन का कारण बनते हैं। हालांकि, शोधकर्ताओं का कहना है कि इस विषय में अधिक शोध की जरूरत होगी। फिलहाल यह अध्ययन चूहों पर किया गया था, लेकिन आगे मानव अनुसंधान किए जाएंगे।