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100 साल जीने वाले लोगों में होती है बीमारियों से बचने की अनोखी क्षमता- अध्ययन

100 साल जीने वाले लोगों में होती है बीमारियों से बचने की अनोखी क्षमता- अध्ययन

लेखन सयाली
Aug 11, 2025
05:41 pm

क्या है खबर?

मनुष्यों की औसत जीवन प्रत्याशा 72 साल है। हालांकि, कुछ ऐसे लोग होते हैं, जिनका जीवनकाल 100 साल से ज्यादा होता है। इन्हें शतायु बोला जाता है और इनकी संख्या विश्वभर में काफी कम है। केवल कुछ ही लोग शतायु क्यों बनते हैं इसका कारण अभी भी वैज्ञानिकों के लिए रहस्य है। हालांकि, एक नए अध्ययन के जरिए खुलासा किया गया है कि जो लोग 100 साल तक जीते हैं, उनमें बीमारियों से बचने की अलौकिक क्षमता होती है।

अध्ययन

UK की शोधकर्ता ने किया यह अध्ययन

यह अध्ययन करिन मोडिग नामक शोधकर्ता ने किया है। वह यूनाइटेड किंगडम (UK) के करोलिंस्का इंस्टीट्यूट में महामारी विज्ञान की एसोसिएट प्रोफेसर हैं। साथ ही स्वीडिश स्वास्थ्य अनुसंधान परिषद ने इस अध्ययन के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की थी। मोडिग जानना चाहती थीं कि क्या 100 साल के व्यक्ति की सहनशक्ति का एक मुख्य कारण बड़ी बीमारियों को टालने की उनकी क्षमता है या फिर वे बस उनसे बेहतर तरीके से बच पाते हैं।

प्रक्रिया

2 अलग-अलग अध्ययन में सामने आए परिणाम

हाल ही में हाल ही में मोडिग और उनकी टीम ने 2 अध्ययन किए थे। इसके दौरान उन्होंने एक ही वर्ष में जन्मे दीर्घायु और अल्पायु वाले लोगों का विश्लेषण और तुलना की थी। दोनों अध्ययनों के परिणामों से पता चला कि 100 साल जीने वाले लोग अपने पूरे जीवन में कम बीमारियों से पीड़ित होते हैं। इतना ही नहीं, उनके शरीर में बीमारियां भी धीमी गति से विकसित होती हैं।

पहला अध्ययन

कैसे किया गया पहला अध्ययन?

दोनों अध्ययनों के अनुसार, शतायु लोगों में कम आयु वाले लोगों की तुलना में हृदय रोग जैसी घातक बीमारियां होने की संभावना भी कम होती है। पहले अध्ययन में 1912-1922 के बीच स्वीडन के स्टॉकहोम काउंटी में जन्मे 1,70,787 लोगों को शामिल किया गया था। ऐतिहासिक स्वास्थ्य डाटा का उपयोग करते हुए प्रतिभागियों का 40 सालों तक अनुसरण किया गया। या तो 60 की आयु से लेकर उनकी मृत्यु तक उनकी जांच की गई या 100 साल की आयु तक।

नतीजे

क्या रहे पहले अध्ययन के नतीजे?

शोधकर्ताओं ने हर प्रतिभागी के स्ट्रोक, हृदयाघात, कूल्हे के फ्रैक्चर और विभिन्न कैंसर के जोखिम की गणना की। इसके बाद 100 साल की आयु तक जीवित रहने वालों की तुलना अल्पायु वाले लोगों से की। सामने आया कि शतायु लोगों में न केवल जीवन के अंतिम चरण में रोग की दर कम थी, बल्कि समग्र रूप से उनके पूरे जीवन में रोग की दर कम बनी रही। शतायु लोग आयु-संबंधी बीमारियों को टालते हैं और उनसे बच भी जाते हैं।

दुरसा अध्ययन

दूसरे अध्ययन में हुई 2 लाख से अधिक लोगों की जांच

दूसरे अध्ययन में 40 चिकित्सीय स्थितियां शामिल की गईं थीं। ये हल्की से लेकर गंभीर तक थीं, जिनमें उच्च रक्तचाप, हृदय गति रुकना, मधुमेह और दिल का दौरा शामिल थे। इसके दौरान 1920-1922 के बीच जन्मे स्वीडन के रहने वाले 2,74,108 प्रतिभागियों की जांच की गई। प्रतिभागियों पर लगभग 30 सालों तक नजर रखी गई, या तो 70 की आयु से लेकर उनकी मृत्यु तक या फिर 100 वर्ष की आयु तक। इनमें से 4,330 लोग शतायु हो गए थे।

परिणाम

दूसरे अध्ययन के नतीजे भी रहे पहले के समान

विश्लेषण में बीमारियों की एक व्यापक श्रेणी को शामिल करने के बाद भी दूसरे अध्ययन के नतीजे पहले अध्ययन के समान थे। शतायु लोगों में कम बीमारियां विकसित हुईं और उनके जीवनकाल में रोग संचय की दर धीमी थी। शतायु लोगों में एक ही अंग प्रणाली तक सीमित बीमारियों के होने की संभावना ज्यादा थी। यह इस समूह के स्वास्थ्य और लचीलेपन का सबूत है, क्योंकि एक अंग प्रणाली को प्रभावित करने वाली बीमारियों का इलाज आसान होता है।