किस तारीख को मनाया जाएगा कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार? जानिए शुभ मुहूर्त और अन्य बातें
क्या है खबर?
भगवान कृष्ण को समर्पित जन्माष्टमी हिन्दू धर्म का एक अहम त्योहार है। इसे कृष्ण जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी भी कहते हैं, जो भगवान विष्णु के 8वें अवतार श्री कृष्ण के जन्म का प्रतीक है। यह पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह भगवान कृष्ण की 5252वीं जयंती होने वाली है। कुछ लोग जन्माष्टमी की तिथि को लेकर असमंजस में हैं। आइए इस त्योहार की सही तारीख और अन्य महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।
तिथि
जानिए तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त
द्रिक पंचांग के अनुसार, इस साल जन्माष्टमी 15 और 16 अगस्त को मनाई जाएगी। अष्टमी तिथि 15 अगस्त को रात 11:49 मिनट पर शुरू होगी और समापन 16 अगस्त को रात 9:34 मिनट पर होगा। पूजा का शुभ मुहूर्त 16 अगस्त को रात 12:04 मिनट पर शुरू होकर 12:47 मिनट पर समाप्त होगा। वहीं, रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त को सुबह 4:38 मिनट पर शुरू होगा और यह 18 अगस्त को 3:17 मिनट तक रहेगा।
जानकारी
इस साल 2 दिन क्यों पड़ रही है जन्माष्टमी?
जन्माष्टमी का पर्व अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग पर मनाया जाता है। इस साल अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग 2 अलग-अलग दिनों में पड़ रहा है, इसी कारण 2 दिन जन्माष्टमी मनाई जा रही है।
व्रत
किस दिन किया जाएगा जन्माष्टमी का व्रत?
जन्माष्टमी के दिन भक्त उपवास रखते हैं। शास्त्र कहते हैं कि भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि की मध्यरात्रि यानि 12 बजे हुआ था। इसलिए, जिस दिन मध्यरात्रि में अष्टमी तिथि पड़ती है, उसी दिन जन्माष्टमी का व्रत और पूजा करना शुभ माना जाता है। आपको इस साल जन्माष्टमी का व्रत 16 अगस्त को रखना चाहिए। 15 अगस्त को रात 11:49 बजे व्रत शुरू करें और 16 अगस्त को जन्म करने के बाद उपवास तोड़ें।
तरीका
जानिए जन्माष्टमी की पूजा विधि
जन्माष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान करने के बाद नए वस्त्र पहन लें। अब पूजा करने के पश्चात उपवास शुरू करें। पूजा करते समय श्री कृष्ण की आरती उतारें और उनके भजन गाएं। अपने लड्डू गोपाल को नेहला-धुलाकर नए वस्त्र पहनाएं, उनका श्रृंगार करें और मंदिर को फूल आदि से सजाएं। जन्म करवाते समय बाल गोपाल की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक किया जाता है और उन्हें तैयार करके झूला झुलाया जाता है।
जन्म
मथुरा में जन्में थे कृष्ण लल्ला
हिंदू धर्मग्रंथों में बताया गया है कि भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। उनके पिता वसुदेव अनकदुंदुभि और उनकी माता देवकी थीं। कृष्ण के जन्म के समय उनके माता-पिता को उनके मामा कंस ने बंदी बनाया हुआ था। एक भविष्यवाणी थी कि देवकी की 8वीं संतान अत्याचारी कंस का अंत करेगी। इसी कारण उसने कृष्ण के जन्म से पहले देवकी की 6 संतानों की हत्या कर दी थी। हालांकि, वह पापी भगवान कृष्ण का वध न कर सका।
इतिहास
नंद और यशोदा ने किया था श्री कृष्ण का पालन-पोषण
कृष्ण के जन्म के बाद एक दिव्य शक्ति ने सभी कारागार प्रहरियों को गहरी नींद में भेज दिया था। कई बाधाओं के बाजवूद, वसुदेव यमुना पार करके श्री कृष्ण को गोकुल गांव के ग्वालों के सरदार नंद के पास ले गए। नंद और उनकी पत्नी यशोदा ने ही भगवान कृष्ण का पालन-पोषण किया। श्री कृष्ण की लीलाएं आज तक मथुरा, वृंदावन, बरसाने और गोकुल में प्रसिद्ध हैं। बड़े होने के बाद भगवान कृष्ण ने अधर्मी कंस का वध किया था।