नवरात्रि: मां दुर्गा को 10 भगवानों ने दिए थे उनके 10 अस्त्र-शस्त्र, जानिए सभी का महत्त्व
देशभर में हर्षों उल्लास के साथ नवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है। इस दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। मां दुर्गा के 10 हाथों में 10 अस्त्र-शस्त्र विराजमान रहते हैं, जो उनकी शक्ति को बढ़ा देते हैं। हालांकि, काफी कम लोग जानते हैं कि आदिशक्ति के ये 10 अस्त्र-शस्त्र उन्हें 10 भगवानों से मिले हैं। इस लेख में जानिए माता रानी को किन भगवानों ने कौन-से अस्त्र-शस्त्र दिए थे और उनका महत्त्व क्या है।
भगवान शिव और भगवान विष्णु ने दिए ये अस्त्र-शस्त्र
भगवान शिव अपने दाये हाथ में त्रिशूल पकड़ते हैं, जो उन्हें अत्यंत प्रिय है। उन्होंने अपनी पत्नी मां पारवती के मां दुर्गा स्वरुप को त्रिशूल भेट किया था। मां के हाथ में विराजमान त्रिशूल साहस और बुराई को नष्ट करने की क्षमता रखता है। वहीं, मां दुर्गा को भगवान विष्णु ने अपना सुदर्शन चक्र भेट किया था। यह चक्र समय को नियंत्रित करता है और शत्रुओं को नष्ट करने की शक्ति रखता है।
वरुण देव और हनुमान जी से मिला शंख और गदा
जल के देवता भगवान वरुण ने माता रानी को शंख भेट किया था। यह ब्रह्मांडीय ध्वनि 'ओम' का प्रतीक है, जो सृजन और विजय को दर्शाता है। साथ ही इस शंख की ध्वनि मन को शांत भी करती है। इसके अलावा, महाबली हनुमान जी ने दुर्गा माता को अपना प्रिय गदा दिया था। यह अहंकार और अज्ञानता को कुचलने की क्षमता रखता है और न्याय दिलाने का प्रतिनिधित्व करता है।
वायु देव और भगवान गणेश ने दिए ये हथियार
हवा के देवता वायु देव ने मां भवानी को धनुष और बाण दिया था। धनुष ऊर्जा का प्रतीक है और तीर पक्के इरादे को दर्शाता है। साथ मिलकर ये दोनों लक्ष्य तक पहुंचने के लिए बाधाओं को दूर करने की क्षमता रखते हैं। दुर्गा माता के पुत्र भगवान गणेश ने अपनी मां को तलवार भेट में दी थी। यह तलवार मृत्यु और न्याय को दर्शाती है। आपको नवरात्रि के त्योहार के दौरान ये 5 काम नहीं करने चाहिए।
भगवान विश्वकर्मा और ब्रह्मा से मिला परशु और कमल
संसार के पहले वास्तुकार कहलाए जाने वाले भगवान विश्वकर्मा ने मां दुर्गा को परशु दिया था, जो कि एक तरह की कुल्हाड़ी है। यह कुल्हाड़ी भौतिकवाद के विनाश का प्रतीक है। साथ ही यह जीवन और मृत्यु के चक्र को तोड़ने में भी मदद करती है। सृष्टि के रचयता ब्रह्मा जी ने माता रानी को एक सुंदर-सा कमल का पुष्प भेट किया था। कमल पवित्रता और आध्यात्मिक शक्ति को दर्शाता है, जो संसार की अशुद्धियों से अछूता रहता है।
अग्नि देव और काल देव ने भेट किया भाला और कवच
अग्नि के देवता अग्निदेव ने दुर्गा माता को एक भाला भेट किया था। भाला उस उग्र ऊर्जा का प्रतीक है, जो बुराई को नष्ट करती है। यह धार्मिकता की शक्ति का भी प्रतीक माना जाता है। समय और मृत्यु के देवता कहलाए जाने वाले काल देव ने माता रानी को एक कवच दिया था। यह कवच हानि से सुरक्षा करता है और नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करता है। नवरात्रि के दौरान ही खुलते हैं मां दुर्गा के ये 2 मंदिर।