कृष्ण जन्माष्टमी: उपवास का समय क्या है? जानिए इससे जुड़ी ध्यान रखने वाली बातें
जन्माष्टमी का त्योहार इस साल 6 और 7 सितंबर को है। यह त्योहार विभिन्न प्रकार के अनुष्ठानों के जरिए मनाया जाता है, जिनमें से उपवास सबसे प्रमुख है। इस दिन कई लोग 24 घंटे का उपवास रखते हैं और फिर आधी रात को भगवान कृष्ण से प्रार्थना करने के बाद भगवान के लिए पकाए गए भोग से अपना उपवास तोड़ते हैं। अगर आप भी उपवास रख रहे हैं तो यहां जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
जन्माष्टमी के उपवास का समय क्या है?
जन्माष्टमी का उपवास आमतौर पर भगवान कृष्ण के जन्म के बाद मनाया जाता है। अगर आप 6 सितंबर को जन्माष्टमी मना रहे हैं तो दोपहर 3:47 के बाद उपवास रखें, लेकिन आप जन्माष्टमी 7 सितंबर को मनाने वाले हैं तो सुबह 6:02 बजे से उपवास रख सकते हैं। वैसे इस साल दही हांडी 7 सितंबर (गुरुवार) को मनाई जाएगी। इसका प्रदर्शन मथुरा, वृंदावन और मुंबई में ज्यादा देखने को मिलता है।
चाय-कॉफी के सेवन से करें परहेज
बहुत से लोग अपने शरीर को सक्रिय बनाए रखने के लिए उपवास के दौरान चाय या कॉफी पीते हैं, लेकिन विशेषज्ञ इनमें से कोई भी पेय पदार्थ न पीने की सलाह देते हैं क्योंकि ये शरीर में एसिडिटी को बढ़ाते हैं। इनसे आपको उपवास के दौरान मतली, भारीपन या सिर दर्द महसूस हो सकता है। बेहतर होगा कि आप इनकी जगह नारियल पानी या ताजे जूस का सेवन करें।
हाइड्रेट रहें
कई लोग भगवान कृष्ण को रिझाने और प्रसन्न करने के लिए बेहद ही मुश्किल उपवास रखने लगते हैं, जिसके चलते वे अन्न के साथ-साथ पानी के सेवन से भी दूरी बना लेते हैं। हालांकि, ऐसा करने से स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ता है। शरीर में पानी की कमी से बचने के लिए दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी के साथ-साथ ताजे फलों का सेवन करें।
तले आलू व्यंजनों का ज्यादा सेवन करने से बचें
कई लोग जन्माष्टमी के उपवास के दौरान आलू से बनने वाले तले व्यंजनों को बेहद ही चाव से खाना पसंद करते हैं। अगर आप भी ऐसे ही लोगों में शामिल हैं तो आज ही ऐसा करना छोड़ दें। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि ऐसे व्यंजनों में वसा और कैलोरी की मात्रा ज्यादा होती है और इनके अत्याधिक सेवन के कारण आपको गैस, ब्लोटिंग और दर्द जैसी पाचन संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त
द्रिक पंचांग के अनुसार, त्योहार की पूजा का समय 6 सितंबर को रात 11:57 बजे से 7 सितंबर को सुबह 12:42 बजे तक रहेगा। इसी बीच अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी, जो 6 सितंबर को दोपहर 3:37 बजे और 7 सितंबर को शाम 4:14 बजे तक समाप्त होगी, जबकि रोहिणी नक्षत्र तिथि 6 सितंबर को सुबह 9:20 बजे से 7 सितंबर को सुबह 10:25 बजे तक है।