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आज दिखेगा 2022 का सबसे बड़ा चांद, जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
13 जुलाई को दिखेगा 2022 का सबसे बड़ा चांद

आज दिखेगा 2022 का सबसे बड़ा चांद, जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

लेखन अंजली
Jul 13, 2022
03:35 pm

क्या है खबर?

14 जून को साल का आखिरी गुलाबी चांद देखा गया था और अब 13 जुलाई को 2022 का सबसे बड़ा चांद दिखने वाला है। जी हां, आज एक बड़ा सुपरमून दिखाई देगा, जिसका खगोलीय पिंड इस साल हमारे ग्रह के सबसे करीब होगा। इस दौरान चांद पृथ्वी के सबसे करीब 3,57,264 किलोमीटर की दूरी पर होगा। यह साल का दूसरा सुपरमून होगा। आइए आज हम आपको इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।

जानकारी

सुपरमून क्या है?

सुपरमून उसे कहते हैं, जब चांद आकार में सामान्य से बड़ा और चमकदार दिखाई देता है। इस तरह की खगोलीय घटनाएं दुनियाभर के स्काईवॉचर्स के लिए एक अद्भुत नजारा है। नासा के अनुसार, "सुपरमून" एक पूर्ण चांद को संदर्भित करता है, जो तब होता है जब चांद अपनी परिधि के 90 प्रतिशत के भीतर होता है। सुपरमून माइक्रोमून से 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत चमकीला होता है।

बक मून

कब और कितने बजे निकलेगा सुपरमून?

जुलाई के सुपरमून को बक मून के नाम से भी जाना जाता है, जिसका नाम नर हिरण के सींगों के नाम पर रखा गया है, जो इस समय के आसपास अपने चरम विकास तक पहुंच जाते हैं। यह सुपरमून 13 जुलाई की रात 12:08 बजे दिखाई देगा। यह चांद आपको लगभग तीन दिनों तक पूर्ण दिखाई दे सकता है यानी बुधवार से शुक्रवार तक।

मौसम

सुपरमून का कैसे होगा मौसम पर असर?

इस सप्ताह की पूर्णिमा को पेरिगी के साथ मेल खाने वाले उच्च और निम्न महासागरीय ज्वार की एक बड़ी श्रृंखला तटीय तूफान को बढ़ा सकती है। इस तरह के ज्वार को पेरिजियन स्प्रिंग टाइड के रूप में जाना जाता है। 'स्प्रिंग' शब्द जर्मन स्प्रिंगन से लिया गया है, जिसका अर्थ है "स्प्रिंग अप।" जब सूर्य और चंद्रमा पृथ्वी के साथ एक रेखा बनाते हैं तो ज्वारीय प्रभाव एक साथ जुड़ जाते हैं।

अन्य तथ्य

जुलाई की पूर्णिमा के बारे में कुछ और तथ्य

पहले साल में तीन सुपरमून निकलते थे, लेकिन अब इनकी संख्या बढ़कर चार हो गई है। जैसे कि इस साल। कुछ दुर्लभ मामलों में साल 2029 से 2033 तक के पूर्वानुमान के अनुसार पांच सुपरमून हो सकते हैं। जुलाई की पूर्णिमा को थंडर मून, मीड मून और हे मून भी कहा जाता है। यूरोप में जुलाई की पूर्णिमा को हे मून के रूप में मान्यता प्राप्त है क्योंकि नासा के अनुसार, इस दौरान वहां घास काटने का काम होता है।