प्रकृति के सबसे अनुकूल हैं भारतीयों का खान-पान, अध्ययन में हुआ खुलासा
क्या है खबर?
भारतीय खान-पान कई पोषक तत्वों से भरपूर और स्वादिष्ट होता है। यह बात तो हर भारतीय जानता है, लेकिन एक हालिया अध्ययन में यह सामने आया है कि भारतीय आहार पर्यावरण अनुकूल भी है।
यह जानकारी लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट 2024 से सामने आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अगर G-20 के देश भारत की आहार संबंधी आदतों को अपनाते हैं तो इससे पर्यावरणीय क्षति में कमी आ सकती है और साल 2050 तक जलवायु परिवर्तन की स्थिति भी सुधर सकती है।
अध्ययन
इंडोनेशिया और चीन का आहार पैटर्न भी है ठीक
इस रिपोर्ट की रैंकिंग में भारत के बाद इंडोनेशिया और चीन हैं, जिनके आहार पैटर्न भी पर्यावरणीय रूप से ठीक माने जाते हैं।
इसके विपरीत रिपोर्ट में अमेरिका, अर्जेंटीना और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में खाद्य उपभोग की प्रथाओं को पर्यावरण के लिए सबसे कम सही माना जाता है।
रिपोर्ट में उठाए गए प्रमुख मुद्दों में से एक वैश्विक अत्यधिक उपभोग, विशेष रूप से वसा और शर्करा में चिंताजनक बढोतरी है।
व्यंजन
भारतीय आहार में मौजूद है शाकाहारी और मांसाहारी व्यंजनों का बेहतरीन मिश्रण
रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में शाकाहारी और मांसाहारी व्यंजनों का बेहतरीन मिश्रण उपलब्ध मिलता है।
जहां इसके उत्तरी भाग में मुख्य भोजन दाल या मांसाहारी व्यंजन और रोटी है, वहीं दक्षिण भारत का मुख्य भोजन इडली, डोसा, नारियल की चटनी और सांभर है।
इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार की मछलियां पश्चिमी, पूर्वी और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में लोकप्रिय हैं।
साथ ही ज्वार, बाजरा, रागी और दलिया जैसे अनाज भी भारतीय खाने का अम हिस्सा हैं।
ग्रीनहाउस गैस
रिपोर्ट में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को बढ़ावा देने की कही बात
इस रिपोर्ट ने वैश्विक खाद्य खपत के भविष्य के बारे में एक सख्त चेतावानी भी जारी की है, "अगर दुनिया में हर कोई साल 2050 तक दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के वर्तमान खाद्य खपत पैटर्न को अपनाता है तो हम भोजन से संबंधित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए 1.5 डिग्री सेल्सियस जलवायु लक्ष्य को पार कर सकते हैं।"
यहां जानिए दुनिया में मौजूद वन्यजीवों की आबादी पर आधारित हालिया लिविंग प्लैनेट की रिपोर्ट।
रिपोर्ट
बाकि देशों के लिए महत्वपूर्ण मॉडल के रूप में काम कर सकता है भारत- रिपोर्ट
रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया जलवायु परिवर्तन से जुड़ी कई समस्याओं का सामना कर रही है। ऐसे में खाद्य उपभोग के प्रति भारत का दृष्टिकोण पर्यावरणीय जिम्मेदारी के साथ आहार संबंधी प्राथमिकताओं को संतुलित करने के इच्छुक देशों के लिए एक महत्वपूर्ण मॉडल के रूप में काम कर सकता है।
लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट का निष्कर्ष सभी देशों से अपनी खाद्य प्रणालियों पर पुनर्विचार करने और पारंपरिक प्रथाओं को बढ़ावा देने का आग्रह करता है।