हार्ट अटैक बनाम कार्डियक अरेस्ट: दोनों में क्या है अंतर और कैसे करें बचाव?
क्या है खबर?
पिछले कुछ महीनों में चलते-फिरते इंसानों की हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट के कारण अचानक मौत के कई मामले सामने आए हैं।
इसी वजह से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर #heart_attack काफी ट्रेंड हो रहा है।
कुछ लोग हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट की स्थिति को एक जैसा ही समझते हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।
आइए आज हम आपको इन दोनों के बीच का अंतर समझाते हैं।
परिभाषा
क्या होता है हार्ट अटैक?
दिल तक खून पहुंचना बंद होने की स्थिति को हार्ट अटैक कहा जाता है। दरअसल, कोलेस्ट्रॉल और फैट के कारण अक्सर दिल तक खून ले जाने वाली धमनी में खून का प्रवाह रुक जाता है और इसके कारण दिल तक खून नहीं पहुंच पाता है।
धमनी ब्लॉक होने की वजह से ऑक्सीजन भी इस तक नहीं पहुंच पाती है।
हालांकि ऐसी स्थिति में दिल की कार्यप्रणाली बरकरार रहती है यानी कि इंसान का दिल धड़कना बंद नहीं होता है।
जानकारी
क्या हैं हार्ट अटैक के लक्षण?
जब किसी को हार्ट अटैक आता है तो सीने के साथ-साथ गर्दन और पीठ में बहुत तेज दर्द होता है। इसके साथ ही शरीर में कमजोरी, थकान, पेट में दर्द, अपच, सांस लेने में दिक्कत, चक्कर आना और जी मचलना जैसी समस्याएं भी होती हैं।
परिभाषा
क्या है कार्डियक अरेस्ट?
कार्डियक अरेस्ट उस स्थिति में होता है जब कार्डियक कार्यप्रणाली अचानक रुक जाती है यानी दिल धड़कना बंद कर देता है।
इस दौरान फेफड़ों, दिमाग और अन्य महत्वपूर्ण अंगों तक खून पहुंचना रुक जाता है और प्रभावित व्यक्ति की तुरंत मृत्यु हो जाती है। कई बार हार्ट अटैक आने की वजह से भी अचानक कार्डियक अरेस्ट हो सकता है।
ऐसी इमरजेंसी में मरीज को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटैशन (CPR) और डिफाइब्रिलेटर से बिजली के झटके दिए जाते हैं।
लक्षण
क्या हैं कार्डियक अरेस्ट के लक्षण?
कई लोगों को कार्डियक अरेस्ट बगैर किसी लक्षण के आ सकता हैं, जिसे सडन कार्डियक अरेस्ट भी कहते हैं।
वहीं कुछ लोगों में कार्डियक अरेस्ट आने पर सीने में जलन और तेज दर्द, सांस लेने में दिक्कत और चक्कर जैसे लक्षणों का अनुभव होता है।
इस दौरान दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर एकदम रुक जाता है, इसलिए मरीज की जान बचाना मुश्किल होता है।
ऐसी स्थिति में मरीज को तुरंत सही तरीके से CPR देने की आवश्यकता होती है।
तरीका
मरीज को कैसे दें CPR?
किसी व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट आने पर सही समय पर CPR देकर उसे बचाया जा सकता है।
इसके लिए सबसे पहले अपने एक हाथ के ऊपर दूसरा हाथ रखकर उन्हें मरीज की छाती के बीच में रखें।
इसके बाद अपने शरीर का वजन अपने हाथों पर डालते हुए हर सेकेंड में दो बार छाती को पुश करते रहें।
ऐसा करने के बाद दो बार मरीज को अपने मुंह के जरिए सांस दें।
सहायता न पहुंचने तक इसे दोहराते रहें।
सावधानियां
इन बातों का ध्यान रख करें अपना बचाव
हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट से बचने के लिए आप पहले से कुछ सावधानियां बरत सकते हैं।
शारीरिक एक्सरसाइज करते वक्त खास ध्यान रखें और ओवर एक्सरसाइज करने से बचें।
खान-पान का भी ध्यान रखें। डाइट में फैट की मात्रा कम रहें और प्रोटीन और विटामिन ज्यादा लें।
मानसिक तनाव बिल्कुल न लें। इसके अलावा रोजाना योग करें।
हर तीन महीने में टेस्ट करवाते रहें ताकि शुरुआती लक्षण देखकर ही डॉक्टर इसका इलाज कर सकें।