
भारत के प्राचीन मंदिरों की ये रहस्यमयी बातें आपको कर देंगी हैरान, जानें
क्या है खबर?
भारत में कई पुराने और ऐतिहासिक मंदिर हैं, जो न केवल धार्मिक नजरिए से अहमियत रखते हैं, बल्कि उनकी बनावट और डिजाइन भी बहुत आकर्षित करती है।
इन मंदिरों की कुछ ऐसी खास बातें और रहस्य हैं, जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
आइए आज हम आपको देश के कुछ पुराने मंदिरों से जुड़ी ऐसी पांच रोचक जानकारियों के बारे में बताते हैं, जो बहुत कम लोगों को ही पता हैं।
#1
तंजावुर बृहदेश्वर मंदिर
तंजावुर बृहदेश्वर मंदिर को बड़ी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह तमिलनाडु में स्थित है और इसे चोल साम्राज्य के राजा चोल प्रथम द्वारा 1010 ईस्वी में बनवाया गया था।
इस मंदिर का मुख्य शिखर लगभग 66 मीटर ऊंचा है और इसे बनाने के लिए 130,000 टन पत्थरों का उपयोग किया गया था।
यहां तक कि इस विशाल शिखर को खड़ा करने के लिए 6 साल तक लगातार काम किया गया।
#2
कोणार्क सूर्य मंदिर
ओडिशा में स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।
यह मंदिर न केवल अपनी बनावट के लिए मशहूर है, बल्कि इसके निर्माण में इस्तेमाल की गई तकनीकें भी बहुत रोचक हैं।
इस मंदिर को घोड़े के पहिए के आकार में बनाया गया है, जिसमें 24 पहिए हैं, जो समय के अलग-अलग हिस्सों को दर्शाते हैं। इन पहियों के माध्यम से सूर्य की गति को दर्शाया गया है।
#3
खजुराहो मंदिर
मध्य प्रदेश में स्थित खजुराहो मंदिर अपने शारीरिक चित्रण के लिए जाने जाते हैं। ये चित्रण न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं बल्कि भारतीय समाज की उस समय की सामाजिक स्थिति को भी दर्शाते हैं।
इन चित्रणों में नाच-गाना, संगीत, प्रेम और जीवन के अन्य पहलुओं को दर्शाया गया है।
यह चित्रण चंदेल राजवंश द्वारा 950 से 1050 ईस्वी के बीच बनाए गए थे और आज भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
#4
रामेश्वरम मंदिर
तमिलनाडु में स्थित रामेश्वरम मंदिर अपने अद्भुत स्तंभों के लिए मशहूर है।
इन स्तंभों को 'रामसेतु' नाम दिया गया है, जो भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण द्वारा निर्मित पुल को दर्शाते हैं।
इन स्तंभों को इस तरह से बनाया गया है कि उनमें से कोई भी पत्थर नीचे गिराया जा सके।
यह तकनीक आज भी रहस्य बनी हुई है क्योंकि इसे समझ पाना आज के विज्ञान के लिए भी कठिन हो रहा है।
#5
लिंगराज मंदिर
भुवनेश्वर में स्थित लिंगराज मंदिर ओ़डिशा राज्य का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है, जिसे 11वीं शताब्दी में बनाया गया था।
इस मंदिर की सबसे दिलचस्प बात इसकी छत है, जो बारिश के पानी को इस तरह से संचालित करती है कि मंदिर के चारों ओर बने तालाब में पानी नहीं भरता है।
इसके अलावा इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव की 8 फीट ऊंची मूर्ति है, जिसमें से लगातार जल प्रवाहित होता रहता है।