रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाने में मदद करता है भुजंगासन, जानिए इसे करने का तरीका
भुजंगासन योग का एक बेहद महत्वपूर्ण आसन है। यह आसन विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है। भुजंगासन न केवल पीठ दर्द को कम करने में सहायक है, बल्कि यह शरीर के लचीलेपन और शक्ति को भी बढ़ाता है। इस लेख में हम भुजंगासन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा करेंगे और जानेंगे कि इसे कैसे सही तरीके से किया जा सकता है।
सबसे पहले जानिए भुजंगासन का महत्व
भुजंगासन का अभ्यास करने से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और उसमें लचीलापन आता है। यह आसन पीठ दर्द को कम करने में मदद करता है और शरीर की मुद्रा को सुधारता है। इसके नियमित अभ्यास से तनाव कम होता है और मानसिक शांति मिलती है। इसके अलावा, यह पेट की मांसपेशियों को खींचता है, जिससे पाचन तंत्र बेहतर होता है और पेट की समस्याएं भी कम हो जाती हैं।
इस तरह से किया जाता है भुजंगासन
भुजंगासन करने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं। अब अपने हाथों को कंधों के नीचे रखें और पैरों को सीधा रखें। धीरे-धीरे अपनी छाती को ऊपर उठाएं और सिर को पीछे की ओर झुकाएं। इस दौरान ध्यान दें कि आपकी नाभि जमीन से लगी रहे। इस स्थिति में 15-30 सेकंड तक रहें और सांस सामान्य रखें, फिर धीरे-धीरे वापस आएं और आराम करें। इस प्रक्रिया को 3-5 बार दोहराएं, ताकि अधिक लाभ मिल सके।
भुजंगासन करते समय बरतें ये सावधानियां
भुजंगासन करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। अगर आपको पीठ या गर्दन में कोई गंभीर समस्या है, तो इसे न करें या करने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह लें। गर्भवती महिलाओं को भी इस आसन से बचना चाहिए। अगर आपको उच्च रक्तचाप या हर्निया की समस्या है, तो भी इस आसन से परहेज करें। हमेशा योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही इसका अभ्यास करें, ताकि किसी भी प्रकार की चोट से बचा जा सके।
भुजंगासन के नियमित अभ्यास से मिलेंगे ये लाभ
भुजंगासन का नियमित अभ्यास करने से शरीर में ऊर्जा बढ़ती है और थकान दूर होती है। इससे मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है और रक्त संचार बेहतर होता है। इसके अलावा, यह मानसिक शांति प्रदान करता है और तनाव को कम करता है। भुजंगासन एक सरल, लेकिन प्रभावी योग आसन है, जो रीढ़ की हड्डी सहित पूरे शरीर के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। इसका नियमित अभ्यास करके आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।