सेहत के लिए अच्छी जड़ी-बूटी है कुटजा, दस्त से लेकर मधुमेह तक के लिए है फायदेमंद
कुटजा एक प्राचीन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसे 'सकरा' के नाम से भी जाना जाता है। सदियों से इसका पौधा, बीज, छाल, जड़, फूल और पत्तियों सहित इसके सभी भागों का इस्तेमाल कई बीमारियों को दूर रखने के लिए किया जा रहा है। इसके इस्तेमाल से रक्त और आंत से संबंधित कई बीमारियों का भी इलाज किया जाता है। आइये स्वास्थ्य टिप्स में इस जड़ी-बूटी से मिलने वाले लाभ जानते हैं।
डायरिया की समस्या करें कम
डायरिया की समस्या में लगातार दस्त, मतली, डिहाइड्रेशन और पेट में ऐंठन होती रहती है। इन लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए कुटजा का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस जड़ी-बूटी में ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो मल को गाढ़ा बनाने, पानी की कमी को रोकने और आंतों से संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म करने में मददगार है। लाभ के लिए हल्का खाना खाने के बाद पानी में एक चौथाई चम्मच कुटजा का पाउडर मिलाकर पीये।
मधुमेह के रोगियों के लिए है फायदेमंद
अगर आप मधुमेह से पीड़ित हैं तो अपने आहार में कुटजा को शामिल करके इस समस्या से राहत पा सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह जड़ी-बूटी हाइपोग्लाइकेमिक गुणों से भरपूर होती है, जो शरीर में उच्च ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मददगार है। इसके अलावा यह इंसुलिन के उत्पादन को भी बढ़ाती है, जिससे ग्लूकोज में स्टार्च का टूटना कम हो जाता है। मधुमेह के अनुकूल इन सब्जियों को भी डाइट में शामिल करें।
पेचिश से दिलाए राहत
पेचिश एक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या है, जो आंत में बैक्टीरिया के कारण होती है। इसमें व्यक्ति का वजन तेजी से कम होने लगता है और उसे उल्टी, पेट में ऐंठन, बुखार और मतली जैसी दिक्कतें भी होती है। इस समस्या से राहत पाने के लिए कुटजा का सेवन किया जा सकता है। यह आंत में संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया को मारता है और इसमें होने वाले लक्षणों से राहत दिलाने में मददगार है।
त्वचा के स्वास्थ्य के लिए है लाभदायक
कुटजा त्वचा की देखभाल करने में भी मदद कर सकती है। इसमें कसैले गुण होते हैं, जो त्वचा को ठीक करने वाले लाभों के लिए जाने जाते हैं। अगर आप खुजली, जलन, सनबर्न, घाव और मुंहासे जैसी कई त्वचा से संबंधी समस्याओं से परेशान हैं तो इलाज के लिए कुटजा का इस्तेमाल करें। माना जाता है कि यह त्वचा के क्षतिग्रस्त ऊतकों को ठीक करता है। इससे आपकी त्वचा अंदर से स्वस्थ, चमकदार और खिली-खिली दिखेगी।