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अलाया एफ करती नजर आईं स्वीडिश बार पर पैरों की यह एक्सरसाइज, जानिए इसके मुख्य फायदे

अलाया एफ करती नजर आईं स्वीडिश बार पर पैरों की यह एक्सरसाइज, जानिए इसके मुख्य फायदे

लेखन सयाली
Oct 11, 2025
04:02 pm

क्या है खबर?

अलाया एफ बॉलीवुड की चर्चित अभिनेत्री हैं, जो मूल रूप से अमेरिका की निवासी हैं। वह हमेशा से अपनी सेहत को प्राथमिकता देती आई हैं, जिस वजह से उनका शरीर इतना फिट है। उन्होंने हाल ही में एक खास एक्सरसाइज उपकरण पर कसरत करते हुए वीडियो साझा किया है, जिसे 'स्वीडिश बार' कहते हैं। अलाया इस पर चढ़कर पुल्ड लेग स्ट्रेच करती नजर आ रही हैं। आइए इसे करने का तरीका और फायदे जानते हैं।

तरीका

इस तरह करें यह एक्सरसाइज

अलाया पुल्ड लेग स्ट्रेच करती नजर आ रही हैं, जो पैरों को मजबूत बनाने वाली एक्सरसाइज है। इसके दौरान वह दोनों हाथों से स्वीडिश बार को पकड़ती हैं और अपने शरीर को पूरा घुमा देती हैं। वह घूमने के बाद अपने एक पैर को सीधा ऊपर उठा लेती हैं और फिर वापस घूमकर सीढ़ी हो जाती हैं। यह एक जटिल कैलिस्थेनिक्स एक्सरसाइज है, जो खास तौर से कोर की ताकत को बढ़ाने में मदद करती है।

विवरण

क्या होता है स्वीडिश बार?

स्वीडिश बार एक बहुमुखी जिम उपकरण है, जो दीवार पर लगी सीढ़ी जैसा दिखता है। इसे स्टॉल बार या जिम्नास्टिक वॉल बार के नाम से भी जाना जाता है। इसका आविष्कार 19वीं शताब्दी में पेर हेनरिक लिंग ने चिकित्सीय मकसद से किया था। अब इसका उपयोग लचीलापन बढ़ाने और मुद्रा में सुधार के लिए किया जाने लगा है। इस बार पर चढ़कर लोग कई तरह की कैलिस्थेनिक्स एक्सरसाइज करते हैं।

फायदे

जानिए इस एक्सरसाइज के फायदे

स्वीडिश बार पुल्ड लेग स्ट्रेच एक्सरसाइज कोर और निचले शरीर की ताकत बढ़ाती है। यह गतिशीलता और लचीलेपन में सुधार करती है और चोट लगने के खतरे को भी कम करती है। इस प्रकार की एक्सरसाइज में पैरों को ऊपर खींचना शामिल होता है। इससे पेट की मांसपेशियों, रेक्टस फेमोरिस और हिप फ्लेक्सर्स को सक्रिय करने में मदद मिलती है, जिससे संतुलन और समन्वय बेहतर होता है। साथ ही इससे पैर भी मजबूत होते हैं।

सावधानियां

एक्सरसाइज के दौरान बरतें ये सावधानियां

इस एक्सरसाइज को करते समय चोट से बचने और अधिकतम परिणाम प्राप्त करने के लिए कोर को कसकर रखना चाहिए। इसके अलावा इसके दौरान बार को कसकर पकड़ा जरूरी है, वर्ना आप गिर सकते हैं और चोटिल हो सकते हैं। अपने पैरों को धीरे-धीरे और नियंत्रित तरीके से ऊपर उठाएं और वापस नीचे लाएं। शरीर को मोड़ते समय भी गति धीमी रखें, वर्ना मोच आने का खतरा हो सकता है।