भारत की इन जगहों पर नहीं होता रावण दहन, धूम-धाम से होती है रावण की पूजा
क्या है खबर?
आज यानि 12 अक्टूबर को देशभर में दशहरे का त्योहार मनाया जा रहा है। यह पर्व अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है।
आज के दिन ही भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था, जिस कारण इसे विजयदशमी भी कहा जाता है। दशहरे के दिन पूरे देश में रावण दहन करने की परंपरा है।
हालांकि, भारत में 5 ऐसी जगहें भी हैं, जहां रावण को जलाने के बजाय उसकी पूजा की जाती है।
#1
बिसरख
उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में ग्रेटर नोएडा से करीब 15 किमी दूर बसे बिसरख गांव में रावण की पूजा होती है। इस गांव का नाम रावण के पिता ऋषि विश्रवा के नाम पर रखा गया है।
मान्यताओं के अनुसार, रावण का जन्म इसी गांव में हुआ था। यहां रावण को महा ब्राह्मण मानकर पूजा जाता है और नवरात्रि के दौरान उसकी आत्मा को शांति देने के लिए यज्ञ भी किए जाते हैं।
#2
जोधपुर
राजस्थान के जोधपुर में भी दशहरे पर रावण दहन की जगह शोक मनाया जाता है। इस शहर के मुदगिल ब्राह्मण रावण के वंशज हैं, जो इस पर्व पर उसके लिए श्राद्ध और पिंडदान करते हैं।
हिंदू ऐतिहासिक कथाओं के अनुसार, रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म मंडोर में हुआ था, जहां दोनों का विवाह कराया गया था।
उसी समय मुदगिल ब्राह्मण लंका से जोधपुर आए थे।
दशहरे पर इन खाद्य पदार्थों का सेवन अत्यंत शुभ माना जाता है।
#3
गढ़चिरौली
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में रावण को असुर की जगह भगवान माना जाता है। यहां फाल्गुन मास के दौरान रावण और उसके बेटों की पूजा की जाती है।
गढ़चिरौली के गोंड आदिवासियों का कहना है कि महर्षि वाल्मिकी ने रामायण में उल्लेख किया था कि रावण ने कुछ गलत नहीं किया।
उनके अनुसार वह तुलसीदास ही थे, जिन्होंने उसे अधर्मी के रूप में चित्रित किया। इसी कारण वे रावण को एक अच्छा व्यक्ति मानते हैं और उसे पूजते हैं।
#4
कांगड़ा
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में रावण की विधि-विधान से पूजा होती है। यहां के स्थानीय लोग रावण को भगवान शिव का परम भक्त मानते हैं।
मान्यताओं के अनुसार, इसी स्थान पर रावण ने भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए तप किया था। इसके बाद भोले बाबा ने उसे वरदान दिए थे।
यही कारण है कि कांगड़ा में दशहरे के दिन रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है।
भारत के इन प्रदेशों में अलग-अलग प्रथाओं से दशहरा मनाया जाता है।
#5
मंदसौर
मध्य प्रदेश का मंदसौर रावण का ससुराल माना जाता है। रामायण के अनुसार, यह शहर मंदोदरी का पैतृक घर था, जिस कारण रावण को यहां का दामाद कहा जाता है।
यहां के लोग रावण के ज्ञान और उसकी शिव भक्ति के कारण उसकी पूजा करते हैं। इस जगह पर रावण की 35 फुट ऊंची प्रतिमा बनवाई गई है।
यहां दशहरे के दिन लोग रावण दहन करने के बजाय उसकी मृत्यु का शोक मनाते हैं और उसके लिए प्रार्थना करते हैं।