आर्थराइटिस का जोखिम कम करने में मदद कर सकती हैं ये 5 जड़ी बूटियां
अधिकांश लोग आर्थराइटिस को बुजुर्गों की बीमारी मानते हैं, लेकिन यह बीमारी कम उम्र के लोगों को भी प्रभावित कर सकती है। आर्थराइटिस हड्डियों से जुड़ी बीमारी है, जिससे ग्रस्त व्यक्ति के जोड़ों (घुटने, कोहनी, हाथ और पांव के जोड़) में सूजन और दर्द होता है। इसके कारण चलने-फिरने में भी परेशानी होने लगती है। हालांकि, अगर बीमारी का शुरूआती चरण है तो कुछ जड़ी बूटियां इससे राहत दिलाने में मदद कर सकती हैं।
बिछुआ पत्ती
बिछुआ पत्तियां आर्थराइटिस का प्राकृतिक इलाज कर सकती हैं। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो जोड़ों की सजून और दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं। बिछुआ की पत्तियां छोटे-छोटे रेशों से ढकी होती हैं, जो कई यौगिक से समृद्ध होती हैं। जब पत्ती त्वचा को छूती है तो रेशों का नुकीला भाग यौगिकों के साथ त्वचा में प्रवेश करके दर्द को कम कर सकता है।
हल्दी
हर भारतीय घर में मौजूद हल्दी भी आर्थराइटिस का इलाज करने में सहयोग प्रदान कर सकती है। इसमें दर्द निवारक गुणों समेत कर्क्यूमिन और क्यूक्यूमिनोइड नामक रसायन होते हैं, जो जोड़ों की सूजन कम करने में मदद कर सकते हैं। लाभ के लिए रात को सोने से पहले हल्दी को गर्म दूध में मिलाकर पिएं या फिर प्रभावित घुटने पर हल्दी और सरसों के तेल को हल्का गर्म करके लगाएं।
अदरक
कई भारतीय रसोई में अदरक का इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि यह भोजन में स्वाद लाने के साथ ही अच्छी सुगंध देने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त यह आर्थराइटिस का इलाज भी कर सकता है। अदरक शरीर में प्रोस्टाग्लैंडीन के स्तर को कम करके अर्थराइटिस के दर्द और सूजन को शांत कर सकती है। लाभ के लिए अदरक के पानी का सेवन करें या फिर इसे किसी भी तरह से खाने में शामिल करें। यहां जानिए अदरक के फायदे।
विलो छाल
विलो छाल आर्थराइटिस के सबसे पुरानी जड़ी बूटियों में से एक है, खासतौर से सूजन के इलाज के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसमें एस्पिरिन जैसे यौगिक होते हैं, जो घुटने, कूल्हे और जोड़ों के हल्के से गंभीर दर्द को प्रभावी ढंग से दूर कर सकते हैं। लाभ के लिए विलो छाल का ऐसे ही सेवन किया जा सकता है या फिर इसकी चाय बनाकर पी जा सकती है।
मुलेठी
मुलेठी झाड़ीनुमा पौधे का तना होता है, जिसे काटने के बाद सुखाया जाता है और फिर इसका इस्तेमाल छोटे-छोटे टुकड़ों में या फिर पाउडर के रूप में किया जाता है। अगर आर्थराइटिस के रोगी इसे अपनी डाइट में शामिल करते हैं तो उन्हें जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है। इसका कारण है कि मुलेठी में ग्लाइसीराइजिन नामक यौगिक सूजन प्रक्रिया में शामिल एंजाइमों के उत्पादन को रोक सकता है।