लोक कला शैलियां, जो कलाकारों को दीवार पर आकर्षक कला बनाने के लिए देती हैं प्रेरणा
क्या है खबर?
भारत विविधताओं का देश है, जहां अलग-अलग संस्कृति के लोग मिल-जुलकर रहते हैं। यहां इन संस्कृतियों की कहानियों और आदर्शों को कला के माध्यम से बखूबी व्यक्त किया जाता आया है।
भारत के प्रतिभाशाली कलाकार सदियों से अपने घर, मंदिर व महल आदि की दीवारों को सजाने के लिए उनपर सुंदर कलाकृतियां बनाते आए हैं।
भारत की ये 5 अनोखी और प्राचीन कला शैलियां आज भी कलाकारों को दीवार पर आकर्षक कला बनाने के लिए प्रेरित करती हैं।
#1
वारली चित्रकला
वारली चित्रकला एक पारंपरिक लोक कला है, जो महाराष्ट्र में रहने वाली वारली जनजाति ने शुरू की थी। इस कला में रोजमर्रा की जिंदगी, रीति-रिवाजों और प्रकृति को दर्शाया जाता है।
इसमें सफेद रंग के पेंट का इस्तेमाल किया जाता है और दीवारों पर आकर्षक कलाकृतियां उकेरी जाती हैं। यह पेंट पारंपरिक तरीके से चावल को पीसकर तैयार किया जाता है।
साथ ही, इस कला में बेहद सरल जोमेट्रिक आकारों का इस्तेमाल किया जाता है।
#2
मधुबनी
बिहार की शान मधुबनी चित्रकला की चर्चा किए बिना यह लेख पूरा नहीं हो सकता। इसे मिथिला कला के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह बिहार के मिथिला से उत्पन्न हुई थी।
इसमें फूल, पत्तियों और मसलों आदि को पीसकर प्राकर्तिक रंग बनाए जाते हैं। इसे पारंपरिक रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है, जो दीवारों और फर्श को जीवंत डिजाइनों से सजाती हैं।
मधुबनी कला में अक्सर धार्मिक दृश्य और प्रकृति के तत्व बनाए जाते हैं।
#3
पट्टचित्र
पट्टचित्र एक प्रकार की लोक कला है, जो विशेष रूप से ओडिशा और पश्चिम बंगाल में प्रचलित है। संस्कृत भाषा में 'पट्टचित्र' का मतलब 'कपड़े पर बनाए गए चित्र' होता है।
इससे साफ हो जाता है कि इस कला के जरिए कपड़ों वाले स्क्रॉल की सजावट की जाती है। इस कला में ज्यादातर पौराणिक कहानियां, धार्मिक आकृतियां और स्थानीय लोककथाएं चित्रित की जाती हैं।
पट्टचित्र कला कलाकारों को दीवार पर कलाकृतियां बनाने के लिए भी प्रेरित करती है।
#4
ऐपण
ऐपण उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र की एक पारंपरिक लोक कला है, जो बेहद खूबसूरत होती है। यह अपने जटिल पैटर्न के लिए जानी जाती है, जो आमतौर पर लाल-गेरू पर सफेद चावल के पेस्ट का उपयोग करके बनाई जाती है।
ऐपण चित्रकला अक्सर विशेष अवसरों, धार्मिक समारोहों और घरेलू अनुष्ठानों के लिए बनाई जाती है। माना जाता है कि यह कला घर में सौभाग्य लाती है और बुराई को दूर करती है।
#5
चित्तारा
चित्तारा कर्नाटक की एक पारंपरिक लोक कला है, जिसमें जटिल जोमेट्रिक पैटर्न बनाए जाते है। यह कला पारंपरिक रूप से दीवारों और फर्श पर की जाती है और अक्सर त्योहारों या शुभ अवसरों के दौरान ही बनाई जाती है।
यह कला मुख्य रूप से देवरू समुदाय की महिलाओं द्वारा की जाती है और जनजातीय संस्कृति और धार्मिक अनुष्ठानों पर आधारित होती है।
इसमें दूल्हा-दुल्हन के चित्र भी बनाए जाते हैं।