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उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बार-बार क्यों आती हैं प्राकृतिक आपदाएं?
उत्तरकाशी में आए दिन प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बार-बार क्यों आती हैं प्राकृतिक आपदाएं?

लेखन आबिद खान
Aug 06, 2025
03:13 pm

क्या है खबर?

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बीते दिन अचानक आई बाढ़ से अब तक 5 लोगों की मौत हो गई है और दर्जनों लापता हैं। फिलहाल बचाव कार्य जारी है और कई लोगों के हताहत होने की आशंका जताई जा रही है। उत्तरकाशी प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से संवेदनशील इलाका रहा है। कभी बाढ़, कभी बादल फटना तो कभी भूस्खलन होना यहां आम बात है। जानते हैं उत्तरकाशी में इतनी प्राकृतिक आपदाएं क्यों आती हैं।

जगह

सबसे पहले उत्तरकाशी के बारे में जानिए

उत्तरकाशी उत्तराखंड का एक जिला है। 1960 में इसे स्वतंत्र जिला बनाया गया था और 2000 में यह उत्तराखंड राज्य का हिस्सा बना। इसे 'उत्तरी काशी' कहते हैं, क्योंकि यहां का विश्वनाथ मंदिर वाराणसी की तरह है और गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है। यानी ये उत्तर के काशी के समान है। कल उत्तरकाशी के धराली कस्बे में अचानक बाढ़ आई, जो हर्षिल घाटी का हिस्सा है। यहां हिमालय से उतरकर खीर गंगा नदी बहती है।

भौगोलिक स्थिति

प्राकृतिक आपदाओं के लिए संवेदनशील है इलाका

ये इलाका हिमालय की गहराई में स्थित है, जिसमें पहाड़ी ढलानें, अस्थिर चट्टानें और ग्लेशियर से निकली हुईं कई नदियां हैं। यही वजह है कि प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से ये इलाका बेहद संवेदनशील हो जाता है। यहां आए दिन भूस्खलन और आकस्मिक बाढ़ की घटनाएं सामने आती रहती हैं। इस इलाके से भागीरथी, अलकनंदा, मंदाकिनी, धौलीगंगा और यमुना जैसी नदियां गुजरती हैं, जो बरसात में अक्सर उफान पर आ जाती हैं।

भूकंप

1991 में आया था विनाशकारी भूकंप

20 अक्टूबर, 1991 को उत्तरकाशी में 6.8 तीव्रता का विनाशकारी भूकंप आया था, जिसमें पूरे जिले के करीब 700 लोगों की जान चली गई थी और हजारों घर टूट गए थे। 1,294 गांवों के 3 लाख से ज्यादा लोग इस भूकंप से प्रभावित हुए थे। IIT कानपुर ने बताया था कि भूकंप से 42,400 घर क्षतिग्रस्त हुए थे। यहां मार्च, 1999 में 6.8 तीव्रता, 2009 और 2011 में 5.7 और 2018 में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था।

विशेषज्ञ

क्या कह रहे हैं जानकार?

उत्तराखंड के लेखक एवं रिसर्चर महिपाल नेगी ने न्यूज18 से कहा, "ये ऐसी संकरी घाटी है, जो बादल फटने के लिए अनुकूल भूगोल का निर्माण करती है। जल कम मात्रा में भी इतनी तेज रफ्तार से बहता है कि दोनों तटों से मलबा, कंकड़-पत्थर साथ में बहा लाता है। इससे नदी प्रवाह की मारक क्षमता बढ़ जाती है। पर्यटन और आधुनिकता के चलते लोग नीचे जा बसे हैं। कई लोगों ने रोजगार के लिए यहां होम स्टे बनाए हैं।"